भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस रिपोर्ट को दाखिल करने के समय, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.40 पर कारोबार कर रहा था.
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्थिरता के रुझान से पता चलता है कि मार्च के अंत तक रुपया 87 पर आ जाएगा.
एक्सिस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख अक्षय चिंचलकर कहते हैं, “अंतर्निहित अस्थिरता के रुझानों के अनुसार, 80 प्रतिशत संभावना है कि अब से मार्च के अंत तक मुद्रा 87 पर आ जाएगी, जबकि एक महीने पहले यह 27 प्रतिशत थी.”
अक्षय ने कहा कि ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने भारतीय मुद्रा के लिए संभावनाओं को कम कर दिया है. रुपया लगातार 16 सप्ताह से गिर रहा है, जो इसके इतिहास में कभी नहीं हुआ.
उन्होंने कहा, “आज सुबह भारत का रुपया 86 से नीचे गिर गया, क्योंकि ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि और तेल में उछाल से वैश्विक डॉलर में बढ़त ने रुपये के लिए संभावनाओं को और कम कर दिया. ऑफशोर मार्केट्स ऑप्शन के जरिए रुपये के खिलाफ दांव लगाना जारी रखते हैं, जहां पिछले हफ्ते डॉलर-रुपया आउट ऑफ द मनी कॉल का आक्रामक रूप से कारोबार हुआ. रुपया अब लगातार 16 सप्ताह से गिर रहा है, जो इसके इतिहास में कभी नहीं हुआ.”