कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बुधवार को आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि भाजपा लोगों को यह कह कर बेवकूफ बना रही है कि पिछले पांच सालों में जीडीपी की वृद्धि यूपीए की तुलना में बहुत अधिक है.
चिदंबरम ने दावा किया कि एनएसएसओ डेटा ने आधार वर्ष को स्थानांतरित कर दिया, जो असामान्य नहीं है, लेकिन सीएसओ डेटा ने आरबीआई डेटा बेस के आधार को छोड़ कर मिनिस्ट्री ऑफ कंपनी अफेयर्स डेटा बेस, जिसे MCA-21 कहा जाता है, को अपना आधार बना लिया.
दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि,“अब MCA-21 को पब्लिक डोमेन में किसी को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है – अर्थशास्त्रियों के लिए उपलब्ध नहीं है – शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध नहीं है. यह सरकार का एक संरक्षित रहस्य है. वे मिनिस्ट्री ऑफ कंपनी अफेयर्स डेटा का उपयोग कंपनियों, उनके उत्पादन, उनके लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कर रहे हैं.”
However much Mr Modi may try to take the narrative away from the economy, ultimately the people will vote on issues that affect their daily lives — jobs, infrastructure, investment, farmers' distress and debt, ruin of MSMEs, stagnant incomes etc.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 8, 2019
कांग्रेस नेता ने कहा कि एनएसएसओ ने, सर्वेक्षणों में पाया है कि एमसीए डेटा बेस में 35 प्रतिशत कंपनियां मौजूद नहीं हैं. उनके बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गयी.
“वे कंपनियां या तो बंद हो गए हैं या वे उनके द्वारा दिए गए पंजीकृत पते पर मौजूद नहीं है. तो, इस देश के लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए आप जो डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं, वह यह है कि जीडीपी ग्रोथ यूपीए की तुलना में बहुत अधिक है? यह एक घोटाला है. इस घोटाले का हल निकालने से पहले इसकी जांच होनी चाहिए.
The NSSO revelations have blown a huge hole in the growth figures put out by the CSO. It turns out that the government has been using bogus data.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 8, 2019
2015 में शुरू की गई जीडीपी की नई श्रृंखला की सत्यता के बारे में संदेह एनएसएसओ की एक रिपोर्ट के बाद तब सामने आया, जब रिपोर्ट में यह देखने को मिला कि एमसीए -21 डेटाबेस, जिसे जीडीपी गणना के लिए उपयोग किया जाता है, में लगभग 39 प्रतिशत कंपनियों का सर्वेक्षण के लिए पता नहीं लगाया जा सका है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “एमसीए में 39 प्रतिशत इकाइयों में से 21 प्रतिशत कवरेज से बाहर पाए गए और 12 प्रतिशत कंपनियों को ट्रेस नहीं किया जा सका.”
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा इन कंपनियों को ‘सक्रिय’ कंपनियों के रूप में वर्णित किया गया था.