केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर इस्लामाबाद ने आतंकवाद को अपना समर्थन खत्म नहीं किया, तो भारत उस देश में बहने वाली नदियों का पानी रोकने में संकोच नहीं करेगा.
गडकरी ने पाकिस्तान को नदी के पानी को रोकने को लेकर कहा कि भारत सिंधु जल संधि का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंध अब मौजूद नहीं है.
नितिन गडकरी ने कहा,“तीन नदियों का पानी पाकिस्तान जा रहा है. हम इसे रोकना नहीं चाहते हैं. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच जल संधि का आधार शांतिपूर्ण संबंध और मित्रता थी, जो दोनों ही पूरी तरह से गायब हो गए हैं. इसलिए हम इस संधि का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं.”
Union Minister Nitin Gadkari: Water is going to Pakistan from 3 rivers, we don't want to stop that. But the basis of water treaty between India & Pakistan were peaceful relations and friendship which have completely vanished. So we are not bound to follow this treaty pic.twitter.com/OVxhnXB85I
— ANI (@ANI) May 9, 2019
उन्होंने कहा कि भारत आंतरिक रूप से मामले की जांच कर रहा है.
उन्होंने आगे कहा,“पाकिस्तान लगातार आतंकवादियों का समर्थन कर रहा है. यदि पाकिस्तान आतंकवाद को नहीं रोकता है, तो हमारे पास पाकिस्तान को मिल रहे नदी के पानी को रोकने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. इसलिए भारत ने आंतरिक रूप से इसका अध्ययन शुरू कर दिया है. मोड़ा गया पानी हरियाणा, पंजाब, और राजस्थान तक जाएगा.”
Union Minister Nitin Gadkari: Pakistan is continuously supporting terrorists. If Pakistan doesn't stops terrorism, we won't have any other option but to stop river water to Pakistan. So India has started internally studying it. That water will go to Haryana, Punjab & Rajasthan pic.twitter.com/C6N63auZKu
— ANI (@ANI) May 9, 2019
पुलवामा आतंकी हमले के एक हफ्ते बाद, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे, गडकरी ने कहा था कि पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि की “भावना को नष्ट कर दिया” है, और उन्होंने दावा किया कि लोग उनसे अनुरोध कर रहे थे कि उन्हें इस्लामाबाद को एक बूंद पानी भी नहीं देना चाहिए.
सिंधु जल संधि पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे. संधि के अनुसार, भारत का ’पूर्वी’ नदियों-रावी, ब्यास और सतलज के जल पर पूर्ण अधिकार है. बदले में, भारत को पाकिस्तान को ’पश्चिमी’ नदियाँ-सिंधु, चिनाब और झेलम-प्रवाह को अप्रतिबंधित करना होगा.
संधि के अनुसार, भारत पश्चिमी ’नदियों के पानी का उपयोग कर सकता है, लेकिन केवल गैर-उपभोग्य तरीके से. इसके अलावा भारत पानी का उपयोग घरेलू उद्देश्यों के लिए, और यहाँ तक कि सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन के लिए भी कर सकता है, लेकिन केवल संधि में निर्दिष्ट तरीके से.