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एनेस्थीसिया की खोज: विज्ञान और मानवता के मिलन की अनोखी मिसाल

हर साल 16 अक्टूबर को पूरी दुनिया में विश्व एनेस्थीसिया दिवस (World Anaesthesia Day) मनाया जाता है। यह दिन उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब पहली बार चिकित्सा इतिहास में दर्द रहित सर्जरी (Painless Surgery) संभव हुई थी। 16 अक्टूबर 1846 को अमेरिका के बोस्टन (Boston) में मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (Massachusetts General Hospital) में डॉ. विलियम टी.जी. मॉर्टन (William T.G. Morton) ने पहली बार सार्वजनिक रूप से ईथर गैस (Ether Gas) का इस्तेमाल कर मरीज को बेहोश किया, और डॉ. जॉन कॉलिन्स वॉरन (Dr. John Collins Warren) ने उसकी गर्दन की गांठ का ऑपरेशन किया। यह ऑपरेशन सफल रहा और मरीज को दर्द का कोई एहसास नहीं हुआ — यह क्षण चिकित्सा इतिहास में “Ether Day” के नाम से दर्ज हो गया।

एनेस्थीसिया की ऐतिहासिक शुरुआत

एनेस्थीसिया का विचार अचानक नहीं आया था। इससे पहले भी कई वैज्ञानिक और डॉक्टर दर्द को कम करने के उपाय खोज चुके थे। 1842 में अमेरिका के डॉ. क्रॉफर्ड विलियम लॉन्ग (Crawford W. Long) ने पहली बार ईथर का उपयोग सर्जरी में किया था, लेकिन उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं किया। इसी कारण 1846 में मॉर्टन का प्रयोग ही इतिहास में “पहला आधिकारिक एनेस्थीसिया प्रयोग” माना गया।

प्राचीन सभ्यताओं में दर्द-निवारण के प्रयास

एनेस्थीसिया की अवधारणा का प्रारंभिक रूप हजारों साल पुराना है। मिस्र, चीन और भारत में लोग दर्द कम करने के लिए शराब, अफीम, हर्बल औषधियों और धुएं का प्रयोग करते थे। भारत के आयुर्वेद ग्रंथों में “संमोहन औषधि” का उल्लेख मिलता है, जो शरीर को शिथिल करने के लिए दी जाती थी। चीन के चिकित्सक हुआ तो (Hua Tuo) ने दूसरी शताब्दी में “मा फेई सान (Ma Fei San)” नामक औषधीय मिश्रण तैयार किया था, जो मरीज को अचेत कर देता था। इन प्रयासों ने बाद में आधुनिक एनेस्थीसिया के विकास की नींव रखी।

आधुनिक चिकित्सा में एनेस्थीसिया का विकास

19वीं सदी के मध्य से लेकर अब तक एनेस्थीसिया विज्ञान ने अद्भुत प्रगति की है। शुरुआती दिनों में ईथर और क्लोरोफॉर्म जैसी गैसों का प्रयोग होता था, जिनसे कई बार साइड इफेक्ट्स भी होते थे। लेकिन समय के साथ वैज्ञानिकों ने अधिक सुरक्षित और नियंत्रित दवाएं विकसित कीं।

आज एनेस्थीसिया तीन प्रमुख रूपों में उपयोग होता है:

1. जनरल एनेस्थीसिया (General Anesthesia): पूरे शरीर को बेहोश करना।

2. रीजनल एनेस्थीसिया (Regional Anesthesia): शरीर के किसी हिस्से को सुन्न करना।

3. लोकल एनेस्थीसिया (Local Anesthesia): केवल प्रभावित क्षेत्र को सुन्न करना।

 

इन तकनीकों ने सर्जरी को न केवल सुरक्षित बनाया बल्कि मरीजों के लिए इसे दर्द-मुक्त और कम डरावना भी बना दिया।

आधुनिक एनेस्थीसिया में तकनीकी क्रांति

आज के दौर में एनेस्थीसिया केवल सर्जरी तक सीमित नहीं है।

AI-संचालित मॉनिटरिंग सिस्टम मरीज की दिल की धड़कन, रक्तचाप और ऑक्सीजन लेवल पर रियल-टाइम नजर रखते हैं।

प्रोपोफोल (Propofol) और सेवोफ्लुरेन (Sevoflurane) जैसी आधुनिक दवाओं ने बेहोशी को और सुरक्षित बनाया है।

रीजनल ब्लॉक और एपिड्यूरल एनेस्थीसिया ने डिलीवरी और न्यूरोलॉजिकल सर्जरी में दर्द को काफी कम कर दिया है।

आज एनेस्थीसियोलॉजिस्ट न केवल ऑपरेशन थिएटर में, बल्कि ICU, इमरजेंसी केयर और दर्द प्रबंधन क्लीनिक्स में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

विश्व स्तर पर एनेस्थीसिया दिवस का महत्व

World Federation of Societies of Anaesthesiologists (WFSA) हर साल 16 अक्टूबर को विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाती है। इसका उद्देश्य है —

लोगों को एनेस्थीसिया की महत्ता के बारे में जागरूक करना,

एनेस्थीसियोलॉजिस्ट्स की भूमिका को सम्मान देना,

और सुरक्षित सर्जिकल प्रथाओं को बढ़ावा देना।

2025 की थीम है — “Anaesthesiology in Health Emergencies”, जो यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य संकटों जैसे महामारी, युद्ध या आपातकालीन स्थितियों में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ जीवनरक्षक भूमिका निभाते हैं।

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न्यूज़ मोबाइल ब्यूरो

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