Hindi Newsportal

महाकुंभ 2025: अखाड़ों की परंपरा, महत्व और उनके प्रमुख, पढ़ें

0 18

महाकुंभ 2025: अखाड़ों की परंपरा, महत्व और उनके प्रमुख, पढ़ें

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 की तैयारी जोरों पर है, और इसके मुख्य आकर्षणों में अखाड़ों की परंपरा प्रमुख है। अखाड़े हिंदू धर्म के संतों और साधुओं के समूह हैं, जो महाकुंभ में शाही स्नान, यज्ञ, और धार्मिक अनुष्ठानों का नेतृत्व करते हैं। इस बार के महाकुंभ में कुल 13 अखाड़े भाग ले रहे हैं, जो शैव, वैष्णव, उदासीन और निर्मल संप्रदायों से संबंधित हैं।

अखाड़ों का महत्व और परंपरा

अखाड़ों की स्थापना धर्म रक्षा और अध्यात्मिक साधना के लिए की गई थी। ये अखाड़े साधु-संतों के लिए संगठित मंच हैं, जहां वे धर्म के प्रचार-प्रसार और समाज सेवा में योगदान देते हैं। महाकुंभ में अखाड़ों का शाही स्नान सबसे बड़ा आयोजन होता है, जो पवित्र गंगा में स्नान का प्रतीकात्मक महत्व रखता है।

13 अखाड़ों की सूची और उनके प्रमुख

शैव अखाड़े

  1. जूनापंथ अखाड़ा: सबसे प्राचीन और बड़ा अखाड़ा।
    • प्रमुख महंत: अवधेशानंद गिरि
  2. अवहन्नी अखाड़ा: गहरे ध्यान और तपस्या के लिए प्रसिद्ध।
    • प्रमुख महंत: हरिगिरि महाराज
  3. आह्वान अखाड़ा: शैव परंपरा के योद्धा साधुओं का समूह।
    • प्रमुख महंत: बालकृष्णानंद गिरी
  4. अतल अखाड़ा: ध्यान और योग के लिए प्रसिद्ध।

वैष्णव अखाड़े

  1. निर्मोही अखाड़ा: भगवान राम और वैष्णव भक्ति के प्रचारक।
    • प्रमुख महंत: धर्मदास महाराज
  2. निर्मणि अखाड़ा: वैष्णव परंपरा के प्रचार में अग्रणी।
  3. दिगंबर अखाड़ा: वैष्णव साधुओं का प्रमुख केंद्र।

उदासीन और निर्मल अखाड़े

  1. उदासीन अखाड़ा: गुरु नानक के अनुयायियों का समूह।
  2. निर्मल अखाड़ा: सिख परंपरा और हिंदू धर्म का संगम।
    • प्रमुख महंत: बाबा बलबीर सिंह

अन्य अखाड़े

  1. बड़ा उदासीन अखाड़ा
  2. नया उदासीन अखाड़ा
  3. अखाड़ा पंचायती बड़ा उदासीन
  4. अखाड़ा पंचायती नया उदासीन
अखाड़ों की भूमिका और दिनचर्या

महाकुंभ के दौरान अखाड़े पूजा-अर्चना, धार्मिक प्रवचन और यज्ञ का आयोजन करते हैं। इनके शिविरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। शाही स्नान के दौरान अखाड़े हाथी, घोड़े और पारंपरिक बैंड के साथ गंगा में स्नान करते हैं, जो शक्ति और भक्ति का प्रदर्शन है।

You might also like

Leave A Reply

Your email address will not be published.