“कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर की हत्या: दोषी को मिली आजीवन कारावास की सजा, लेकिन न्याय के संघर्ष की कहानी अब भी अधूरी”
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिली एक प्रतिभाशाली ट्रेनी महिला डॉक्टर की लाश ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। 9 अगस्त 2024 की वह सुबह, जिसने एक डॉक्टर के सपनों और समाज की उम्मीदों को हमेशा के लिए चुप कर दिया, अब न्याय की दिशा में एक अहम मोड़ पर पहुंच गई है।
सोमवार (20 जनवरी) को कोलकाता की विशेष अदालत ने इस हृदयविदारक बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, दोषी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। पीड़िता के पिता ने कोर्ट से दोषी के लिए अधिकतम सजा की मांग की थी।
अदालत का सख्त रुख: आजीवन कारावास से कम सजा नहीं
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस मामले में अधिकतम सजा “मृत्युदंड” हो सकती है, जबकि न्यूनतम सजा आजीवन कारावास होगी। अदालत ने पीड़िता के साथ हुए अन्याय को स्वीकारते हुए दोषी को जीवनभर जेल में रहने की सजा सुनाई। हालांकि, इस मामले से जुड़े सबूतों से छेड़छाड़ और अन्य पहलुओं पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच अभी भी जारी है।
पीड़िता का संघर्ष: 36 घंटे की ड्यूटी के बाद अंतहीन अंधकार
सीबीआई के वकील ने कोर्ट में जो बातें रखीं, वे इस दुखद घटना की भयावहता को बयां करती हैं। उन्होंने बताया कि पीड़िता 36 घंटे तक लगातार ड्यूटी पर थी। कार्यस्थल, जो उसका दूसरा घर माना जाता था, वहीं पर उसके साथ बलात्कार और हत्या जैसा घिनौना अपराध हुआ। वकील ने कहा, “वह एक मेधावी छात्रा थी। सिर्फ उसका परिवार ही नहीं, बल्कि समाज ने भी एक होनहार डॉक्टर को खो दिया।”
पीड़िता के परिवार के वकील ने तर्क दिया कि घटना की रात की सारी सच्चाई सबूतों से स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि आरोपी की बेगुनाही साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिल सका।
सेमिनार हॉल: जहां खत्म हुए सपने
पिछले साल 9 अगस्त की सुबह, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल से ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था। शुरुआती जांच कोलकाता पुलिस की एक विशेष टीम ने की थी, जिसने संजय रॉय को गिरफ्तार किया। लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए, पांच दिन बाद यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने गहन जांच के बाद यह साबित किया कि दोषी ने एक निर्दोष महिला की जिंदगी छीन ली।
तेज प्रक्रिया: 162 दिनों में न्याय की दिशा में कदम
इस केस में सुनवाई की प्रक्रिया 11 नवंबर 2024 को शुरू हुई और 59 दिनों के भीतर अदालत ने दोषी को सजा सुना दी। अपराध की तारीख से केवल 162 दिनों के भीतर दोषसिद्धि की प्रक्रिया पूरी हुई, जो भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक उल्लेखनीय उदाहरण है।
सीएम ममता बनर्जी का बयान
इस घटना ने न केवल पीड़िता के परिवार बल्कि पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले पर कहा, “हमने जांच में पूरा सहयोग किया। हमने न्याय की मांग की थी, लेकिन न्यायपालिका को अपना काम करने देना जरूरी था। इसमें थोड़ा समय लगा, लेकिन हम हमेशा चाहते थे कि पीड़िता को न्याय मिले।”
जांच अब भी जारी: न्याय की पूरी तस्वीर अधूरी
हालांकि, दोषी को सजा मिल चुकी है, लेकिन इस केस से जुड़े अन्य पहलुओं, जैसे सबूतों से छेड़छाड़ और जांच में बाधा डालने के मामले में, सीबीआई की जांच अभी भी जारी है। पीड़िता के परिवार और समाज के लिए यह केवल पहला कदम है।
क्या बदलेगी व्यवस्था?
यह मामला केवल एक बलात्कार और हत्या का मामला नहीं है। यह कार्यस्थल की सुरक्षा, महिला डॉक्टरों के प्रति सम्मान और समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता पर भी सवाल खड़े करता है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर क्यों एक महिला अपने ही कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं है?
शोक और संकल्प
पीड़िता के पिता के शब्द हर व्यक्ति के दिल में गूंज रहे हैं: “मेरा बेटा कैसे गया और कैसे लौट रहा है, यह सोचकर मेरा दिल टूट जाता है।” यह दर्द पूरे समाज का है, और यह समय है कि हम ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।
क्या यह न्याय पीड़िता के परिवार के जख्म भर सकता है? क्या यह घटना समाज को महिलाओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाएगी? ये सवाल हर उस इंसान के दिल में हैं, जिसने इस त्रा
सदी को महसूस किया है।