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ईवीएम को दोष नहीं दे सकते, ध्रुवीकरण भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हुआ: आप

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राष्ट्रीय राजधानी की सभी सात लोकसभा सीटों को हारने के बाद, आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ एक आत्मनिरीक्षण बैठक की, और निष्कर्ष निकाला कि ईवीएम को दोष नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि हवा इस बार भाजपा की तरफ ही थी.

सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि गुरुवार शाम को हुई बैठक में पार्टी के शीर्ष अधिकारियों ने फैसला किया कि वोटिंग मशीनें हार का कारण नहीं बन सकतीं, क्योंकि वोटों का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में है.

केजरीवाल के अलावा, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, गोपाल राय और राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित अन्य शीर्ष नेता बैठक में मौजूद थे.

दिल्ली से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार – आतिशी, राघव चड्ढा और पंकज गुप्ता भी बैठक का हिस्सा थे। नेतृत्व ने यह भी तय किया कि पार्टी की हार के लिए किसी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि लोगों का मूड इस बार भाजपा के पुरज़ोर समर्थन में था.

2015 में 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी, 2019 चुनावों में करीब 18 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गई, जबकि बीजेपी को 56 फीसदी और कांग्रेस को 22 फीसदी से ज्यादा वोट मिले.

पार्टी की सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार, आतिशी, जिन्होंने पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ा, वे भाजपा के गौतम गंभीर से 2,19,328 वोटों से हारने के साथ अपनी जमा पूंजी मुश्किल से बचा पाई.

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बीजेपी ने दिल्ली की सभी सात सीटें जीतकर 2014 के करतब को न केवल दोहराया बल्कि अपने वोट शेयर में भी लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की.

केजरीवाल अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने के लिए 26 मई को पार्टी के स्वयंसेवकों के साथ बैठक करेंगे.

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