भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में टीम इंडिया के कप्तान शुभमन गिल ने अपने करियर की सबसे शानदार पारी खेलते हुए दोहरा शतक जड़ दिया। गिल ने 311 गेंदों में 21 चौके और 2 छक्कों की मदद से यह उपलब्धि हासिल की। यह उनके टेस्ट करियर की पहली डबल सेंचुरी है और उनके बल्ले से निकली यह पारी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक नई कहानी लिख गई।
शुभमन गिल इस समय भारतीय क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में गिने जाते हैं, और इस मैच में उन्होंने उस भरोसे को पूरी तरह साबित कर दिया। एजबेस्टन टेस्ट की उनकी यह पारी केवल रनों की गिनती नहीं थी, बल्कि यह संयम, तकनीक और मानसिक मजबूती की मिसाल थी। उन्होंने इंग्लैंड के तेज और स्विंग गेंदबाजों के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए एक-एक रन के लिए मेहनत की और बिना किसी जल्दबाजी के ठोस पारी खेली। उनका स्ट्रोकप्ले पूरी तरह क्लासिकल रहा और उन्होंने इंग्लिश गेंदबाजों की हर छोटी गलती का फायदा उठाते हुए उसे बाउंड्री में तब्दील किया।
इस पारी के दौरान शुभमन गिल ने कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किए। वह इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय कप्तान बन गए हैं। इसके साथ ही वह सबसे कम उम्र (25 वर्ष) में इंग्लैंड की सरज़मीं पर यह कारनामा करने वाले पहले भारतीय भी बने। गिल एजबेस्टन के मैदान पर दोहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज हैं। इससे पहले इंग्लैंड में दोहरा शतक लगाने का गौरव केवल सुनील गावस्कर और राहुल द्रविड़ को प्राप्त था, लेकिन अब इस सूची में शुभमन गिल का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने गावस्कर के 221 रनों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए इंग्लैंड में किसी भी भारतीय द्वारा टेस्ट में खेली गई सबसे बड़ी पारी खेली। इसके अलावा, वह 6 साल बाद ऐसे पहले भारतीय कप्तान बने हैं जिन्होंने टेस्ट में डबल सेंचुरी लगाई हो। यही नहीं, 25 साल की उम्र तक विदेशी टेस्ट सीरीज में 300 से अधिक रन बनाने वाले पहले भारतीय कप्तान बनने का रिकॉर्ड भी अब उनके नाम है।
इस पारी की एक और खास बात यह रही कि गिल ने टीम को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। उन्होंने करुण नायर और ऋषभ पंत के साथ अहम साझेदारियां कीं, लेकिन रवींद्र जडेजा के साथ उनकी 200 से अधिक रनों की साझेदारी ने मैच का रुख ही बदल दिया। इस साझेदारी के दम पर भारतीय टीम ने 500 रन का आंकड़ा पार किया और इंग्लैंड पर दबाव बनाकर उन्हें मुश्किल में डाल दिया।
गिल की बल्लेबाजी पूरी तरह से रणनीति और परिस्थिति की मांग के अनुसार थी। उन्होंने स्ट्राइक को शानदार तरीके से रोटेट किया, दूसरे छोर के बल्लेबाज को लगातार सपोर्ट किया और किसी भी स्तर पर अपना संयम नहीं खोया। जेम्स एंडरसन से लेकर मार्क वुड तक, इंग्लैंड के हर प्रमुख गेंदबाज ने उन्हें परेशान करने की कोशिश की, लेकिन गिल की तकनीक और मानसिक दृढ़ता ने सभी को विफल कर दिया।
इस पारी ने यह साफ कर दिया है कि भारतीय क्रिकेट को विराट कोहली और रोहित शर्मा के बाद एक ऐसा कप्तान मिल चुका है जो न केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन में अव्वल है, बल्कि टीम को नई दिशा देने की क्षमता भी रखता है। शुभमन गिल की यह डबल सेंचुरी आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट के इतिहास की सबसे यादगार पारियों में शुमार की जाएगी। यह पारी एक युवा कप्तान की परिपक्व सोच, लीडरशिप और बल्लेबाजी कौशल का जीवंत उदाहरण है।
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