भारत

जयशंकर की ऐतिहासिक घोषणा, काबुल में फिर शुरू होगा भारतीय दूतावास

नई दिल्ली: तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान और भारत के बीच संबंधों में एक नई शुरुआत देखने को मिली है. अफगानिस्तान के विदेश मंत्री इस वक्त भारत के एक सप्ताह के दौरे पर हैं. शुक्रवार को उनकी मुलाकात भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हुई, जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बैठक के दौरान जयशंकर ने ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि अब काबुल में मौजूद भारतीय टेक्निकल मिशन को फिर से “भारतीय दूतावास” का दर्जा दिया जाएगा.

अफ़ग़ान विदेश मंत्री मुत्ताक़ी के साथ बैठक के दौरान, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “मुझे आज काबुल स्थित भारत के तकनीकी मिशन को भारतीय दूतावास के स्तर पर उन्नत करने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है…” “भारत अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हमारे बीच घनिष्ठ सहयोग आपके राष्ट्रीय विकास के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता और लचीलेपन में भी योगदान देता है. इसे और मज़बूत करने के लिए, मुझे आज काबुल स्थित भारत के तकनीकी मिशन को भारतीय दूतावास के स्तर पर उन्नत करने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है.”

2021 के बाद भारत-अफगान रिश्तों में बड़ा कदम

गौरतलब है कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद भारत ने सुरक्षा कारणों से अपना दूतावास बंद कर दिया था. हालांकि, एक साल बाद मानवीय सहायता, चिकित्सा सेवाओं और व्यापारिक जरूरतों के लिए नई दिल्ली ने एक छोटा टेक्निकल मिशन काबुल में फिर से शुरू किया था. अब लगभग चार साल बाद, भारत ने इस मिशन को पूर्ण रूप से दूतावास का दर्जा देकर अफगानिस्तान के साथ अपने राजनयिक रिश्तों को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है.

जयशंकर बोले — ‘भारत अफगानिस्तान का सच्चा मित्र’

अफगान विदेश मंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए एस. जयशंकर ने कहा कि यह दौरा दोनों देशों के बीच “स्थायी मित्रता की पुष्टि” है. उन्होंने कहा — “एक पड़ोसी और अफगान जनता के शुभचिंतक के रूप में भारत हमेशा अफगानिस्तान के विकास और प्रगति में सहयोगी रहा है. चाहे वह स्वास्थ्य सेवा हो, भूकंप जैसी आपदाओं में राहत कार्य हों या खाद्य सहायता — भारत हर मोर्चे पर अफगानिस्तान के साथ खड़ा रहा है.”

आतंकवाद पर साझा रुख

जयशंकर ने दोनों देशों के सामने मौजूद सुरक्षा चुनौतियों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान दोनों को सीमा पार आतंकवाद जैसी साझा समस्याओं से मिलकर निपटना होगा.

“हम आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ हैं. हमें मिलकर काम करना होगा ताकि दोनों देशों की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित हो सके,” उन्होंने कहा.

जयशंकर ने यह भी जोड़ा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद अफगानिस्तान की ओर से दिखाए गए समर्थन की भारत सराहना करता है.

राजनयिक बहाली का प्रतीकात्मक ऐलान

बैठक के अंत में जयशंकर ने कहा — “भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हमारे बीच सहयोग न केवल राष्ट्रीय विकास बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान देगा. इसी दिशा में, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि काबुल में भारत के टेक्निकल मिशन को अब भारतीय दूतावास का दर्जा दिया जाएगा.”

यह घोषणा भारत-अफगान रिश्तों में कूटनीतिक विश्वास की वापसी का प्रतीक मानी जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न सिर्फ दोनों देशों के बीच आर्थिक और मानवीय सहयोग बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति भी मजबूत होगी.

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