फैक्ट चेक: पेरिस में साल 2019 में हुए प्रदर्शन की तस्वीरों को हालिया घटना से जोड़कर किया गया वायरल, जानें पूरा सच
फ्रांस में नेहाल नामक एक व्यक्ति की हुई हत्या के बाद देश के कई इलाकों में हिंसा होते देखी गई। एक वीडियो को शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि फ्रांस को रिपब्लिक स्क्वायर पर मुस्लिम शरणार्थियों ने कब्जा कर लिया , जिससे फ्रांस की पूरे दुनिया में किरकिरी हुई है। फेसबुक यूजर लिखते हैं कि ‘लो हरे टिंडों ने पेरिस का क्या हश्र किया है। पेरिस भी सिक्यूलरिज्म का लॉलीपॉप चूसता रहा और अंत में जिहाद की भेंट चढ़ गया ये अंतिम समय है हिन्दुओं या तो सेक्युलर बने रहो या हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दो।’
फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
फैक्ट चेक:
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल तस्वीर हालिया दिनों के हालातों से संबंधित नहीं बल्कि या साल 2019 की है।
फ्रांस की बिल्डिंग पर मुस्लिमों द्वारा कब्जा किए जाने का दावा करते इस वीडियो का सच जानने के लिए हमने इसके एक कीफ्रेम को गूगल पर ढूंढा। इस दौरान हमें साल 2019 में पोस्ट किया गया एक ट्वीट मिला। इस ट्वीट में वायरल क्लिप के हिस्से हो देख सकते हैं।
French-Algerians and Algerians living in France protesting against Bouteflika's bid for a fifth term. Place de la République in Paris awash with Algerian flags and banners calling for a free and democratic Algeria. pic.twitter.com/agRZvbO3R3
— Selina Sykes (@Selina_Sykes) March 10, 2019
वीडियो के साथ दिए गए कैप्शन में यह जानकारी दी गई है कि अल्जीरिया के लोगों ने देश के तत्कालीन राष्ट्रपति के विरोध में एकजुट होकर फ्रांस की राजधानी पेरिस में विरोध प्रदर्शन किया था।
गूगल पर कुछ कीवर्ड की सहायता से सर्च करने पर हमें फ्रांस 24 द्वारा साल 2019 में प्रकाशित एक खबर मिली। इस खबर में भी वायरल वीडियो के हिस्से हो देख सकते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलाजिज के खिलाफ अजीरिया के नागरिकों ने एकजुट होकर पेरिस में विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान वहां भारी भीड़ इकट्ठा हो गई थी।
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह साबित हो जाता है कि वायरल हो रहा यह वीडियो फ्रांस में हो रही हालिया हिंसा से संबंधित नहीं है।यह वीडियो करीब 4 साल पुराना है और अल्जीरिया के नागरिकों द्वारा उनके राष्ट्रपति के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन का है।