फैक्ट चेक: धारदार हथियार से लोगों का गला काटने का यह वीडियो भारत का नहीं है, जानें पूरा सच
हरे रंग का कपड़ा और सिर पर टोपी लगाए 2 व्यक्ति एक कमरे में बैठे कुछ लोगों के गले पर किसी धारदार वस्तु से प्रहार करते दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि हिन्दू समाज जहां सर्व धर्म सम्भाव में भरोसा रखता है तो वहीं मदरसों में गला रेतने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
फेसबुक पर वायरल वीडियो शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन के साथ लिखा गया कि यहां मदरसों में “गला रेतने” की ट्रेनिंग दी जा रही है, और हम अभी भी अहिंसा परमो धर्मा:” में लगे हैं।*हमारा भविष्य सामने होते हुए बच्चो को आत्म रक्षा तक नही सीखा पा रहे। सोचीये विचारीयै समय है अब भी’
फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
फैक्ट चेक:
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल वीडियो हालिया दिनों नहीं का बल्कि पुराना है और साथ ही वीडियो का भारत से कोई संबंध नहीं है।
मदरसों में गला रेतने की ट्रेनिंग दिये जाने के दावे से वायरल हुए वीडियो का सच जानने के लिए हमने इसके कीफ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च किया। इस दौरान हमें इंस्टाग्राम पोस्ट मिला। इस पोस्ट में वायरल वीडियो से मेल खाता एक दूसरा मौजूद है। इस वीडियो को इंस्टाग्राम पर साल 2019 को अपलोड किया गया है। बता दें कि वीडियो में लोग किसी अन्य भाषा में बात कर रहे थे।
अधिक खोजने पर हमें Sakera Al Iqdam नामक यूट्यूब चैनल पर मार्च 13, 2019 को अपलोड हुआ एक वीडियो मिला। इस वीडियो में भी वायरल क्लिप के अंश की देख सकते हैं। वीडियो को गौर से देखने पर हमें वायरल वीडियो वाली जगह का पता चला।
यूट्यूब पर प्राप्त वीडियो को गौर करने पर हमें वीडियो का दृश्य किस जगह का है यह पता चला कि प्राप्त वीडियो के एक हिस्से में पीछे देखा जा सख्त है कि वहाँ Provinsi: Jawa Timur और Kabupatan: Jember लिखा हुआ है।
जब हमने Jawa Timur और Kabupatan दोनों को गूगल किया तो जाना कि यह जगह इंडोनेशिया की है।
इस तरह हमारी पड़ताल में यह साफ़ हो गया कि हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर वायरल हो रहा यह दावा झूठा है। यह भारत का नहीं वरन इंडोनेशिया का वीडियो है और करीब 4 साल पुराना है।