इजराइल-हमास में जंग को एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है। हमास और इज़राइल के बीच संघर्ष में करीब दस हज़ार फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके है। इनसब के बीच सोशल मीडिया पे एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे कथित तौर पर एक मस्जिद के मंच से पुलिस द्वारा एक व्यक्ति को गिरफ्तार करते हुए दिखाया गया है। इसे शेयर करते हुए दवा किया गया की सऊदी अरब पुलिस ने फ़िलिस्तीन के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए एक मस्जिद के इमाम को गिरफ्तार कर लिया है।
एक फेसबुक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा, “सउदी ने इजराइल के साथ युद्ध का आह्वान करने वाले एक इमाम को गिरफ्तार कर लिया।”
फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
इसे फेसबुक और ट्विटर पर काफी शेयर किया गया।
फैक्ट चेक
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल दावा गलत है। दरअसल वीडियो करीब पांच साल पुराना है।
वायरल वीडियो के साथ शेयर हो रहे दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की। सबसे पहले हमने कीवर्ड सर्च टूल के माध्यम से खोजना शरू किया। खोज के दौरान हमें यह वीडियो अख़बार 24.कॉम के मार्च 2018 के एक वीडियो रिपोर्ट में देखने को प्रकाशित मिली। गूगल ट्रांस्लेट की मदद से हमने इस आर्टिकल को अरबी भाषा से हिंदी में ट्रांस्लेट किया। रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी के यानबू अल-बहर में जबरिया मस्जिद में हुई थी। दरअसल मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति करीब 12:35 बजे मस्जिद के मंच पर चढ़ गया और जुमे की नमाज़ से पहले इमाम द्वारा दिए जाने वाले उपदेश (खुत्बा) देने की कोशिश करने लगा। इसके बाद अधिकारियों ने बल का प्रयोग कर मंच से नीचे उतारा।
आगे पड़ताल में हमे अलमशाद न्यूज़ नाम की एक वेबसाइट पर 3 मार्च 2018 की एक रिपोर्ट मिली जिसमे की वायरल हो रहे वीडियो को देखा जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक घटना सऊदी अरब की है जहाँ मानसिक रूप से बीमार एक वयक्ति ने मस्जिद के अंदर भाषण देने की प्रयत्न किया था। मदीना क्षेत्र में इस्लामिक मामलों के मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता माजिद अल-मुहम्मदी ने भी एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें उन्होंने इस बात पुष्टि की थी कि वह व्यक्ति इमाम नहीं बल्कि मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति था। वह इमाम के आने से पहले उनके लिए निर्धारित दरवाज़े पर चला गया था और मस्जिद में प्रवेश किया था। बाद में सुरक्षा कर्मियों ने को मंच से उतरा। व्यक्ति की उम्र 70 वर्ष के आसपास थी, बाद में उन्हें परिवार को इलाज के लिए सौंप दिया गया था।
पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमें पता चला कि वायरल वीडियो हालिया दिनों नहीं। वीडियो करीब 5 साल पुराना है और इसमें फ़िलिस्तीन के पक्ष में वकालत करने के लिए किसी इमाम को गिरफ़्तार करते नहीं दिखाया गया है।