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फैक्ट चेक: कांग्रेस राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी का चार साल पुराना वीडियो, हालिया दिनों में हुआ वायरल, जानें पूरा सच

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फैक्ट चेक: कांग्रेस राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी का सालों पुराना वीडियो, हालिया दिनों में हुआ वायरल, जानें पूरा सच 

सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्हें एक मंच से जनसभा को संबोधित करते हुए देखा जा सकता है। मंच से माइक पर इमरान को एक कविता की कुछ पंक्तियाँ गाते हुए सुना जा सकता है। अपनी कविता की आखिरी पंक्तियों को गुनगुनाते हुए वह कहते है कि ‘अगर मरना पड़े तो चार-छह को मारकर मरना’। कांग्रेस नेता इमरान के इसी वीडियो को सोशल मीडिया पर हालिया दिनों में शेयर कर वर्तमान के लोकसभा चुनावों के दौरान का बताया जा रहा है। इसके साथ ही यूज़र्स चुनाव आयोग को टैग कर उनसे सवाल कर रहे हैं कि क्या यह क्या ये घृणा की श्रेणी में नहीं आता?

फेसबुक पर कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी का यह वीडियो शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि “मुसलमानों, मरने से पहले 5 काफिरों को मार कर मरना। ये कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी का बयान है खुले मंच से। क्या ये घृणा की श्रेणी में नहीं आता??”

 

फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।

फैक्ट चेक:

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं बल्कि चार साल पुराने उनके मुशायरे का है।

वायरल वीडियो देखने में हमें पुराना लगा। इसलिए वीडियो की सच्चाई जनन्ने के लिए हमने गूगल पर बारीकी से खोजना शुरू किया। खोज एक दौरान हमें  वायरल वीडियो सबसे पहले Ateef Director नामक यूट्यूब चैनल पर मिला। जिसे अगस्त 9, 2019 को अपलोड किया गया था। वीडियो के कैप्शन में जानकारी देते हुए इसे नांदेड़ में हुए इमरान प्रतापगढ़ी के मुशायरे का बताया गया है।  बता दें कि नांदेड़ महाराष्ट्र का एक जिला है।

 

उपरोक्त यूट्यूब में मिली जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर बारीकी से खोजना किया। खोज के दौरान हमें वायरल वीडियो क्लिप का पूरा वीडियो इमरान प्रतापगढ़ी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिला जिसे यूट्यूब पर  अगस्त 5, 2019 को अपलोड किया गया था।  वीडियो के कैप्शन में जानकारी दी गयी थी कि यह वीडियो एक मुशायरे का था। जिसे अगस्त 04, 2019 को नांदेड़ (महाराष्ट्र) में आयोजित किया था। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण  भी मुशायरे में शामिल हुए थे।

पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमने जाना कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं बल्कि साल 2019 के दौरान का है। जिसे हालिया दिनों में भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।