पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मलाला युसुफजई ने भी जम्मू-कश्मीर में शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है.
मलाला युसुफजई ने ट्विटर पर लिखते हुए कहा,” कश्मीर के लोग उस समय से संघर्ष के बीच रह रहे हैं, जब मैं एक बच्ची थी, जब मेरे माता और पिता बच्चे थे और मेरे दादा-दादी युवा थे. मैं चाहती हूं कि सात दशक से चले आ रहे कश्मीर मसले का शांतिपूर्ण ढंग से हल निकले.”
The people of Kashmir have lived in conflict since I was a child, since my mother and father were children, since my grandparents were young. pic.twitter.com/Qdq0j2hyN9
— Malala (@Malala) August 8, 2019
मंगलवार को संसद ने संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित क्षेत्र बनाने वाला विधेयक भी पारित हो गया.
अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू और कश्मीर में कर्फ्यू लागू है. इसके अलावा इस फैसले का विरोध कर रहे घाटी के नेताओं को भी नजरबंद किया गया है.
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कारगिल में एहतिहात के तौर पर धारा 144 लगी हुई है. हालांकि करगिल में किसी भी तरह की कोई हिसंक झड़प का मामला सामने नहीं आया है.
अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में शांति को बढ़ावा देने के लिए मलाला युसुफजई को उनकी साहसी और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए, 19 दिसम्बर 2011 को पाकिस्तानी सरकार द्वारा ‘पाकिस्तान का पहला युवाओं के लिए राष्ट्रीय शांति पुरस्कार मिला था.
बच्चों और युवाओं के दमन के ख़िलाफ़ और सभी को शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से उन्हें 10 दिसंबर 2014 को शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था.