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पर्यटन मंत्री ने लोकसभा में पेश किया जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक, कांग्रेस ने किया कड़ा विरोध

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सोमवार को संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने लोकसभा में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक पेश किया, जो जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल एक्ट, 1951, में बदलाव प्रस्तावित करता है. यह बिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के जलियांवाला बाग ट्रस्ट में स्वचालित नामांकन को हटाने के लिए संसद में पेश किया गया.

विधेयक का परिचय देते हुए, पर्यटन मंत्री, प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि विधेयक 16 वीं लोकसभा में पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था.

भारतीय जनता पार्टी द्वारा पेश किए गए इस बिल का कांग्रेस ने विरोध किया है. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भव्य पुरानी पार्टी कांग्रेस और जलियांवाला बाग ट्रस्ट के बीच रहे लंबे सहयोग का ज़िक्र करते हुए इस बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार कांग्रेस अध्यक्ष को हटाकर इतिहास और विरासत को धोखा न दे.

यह स्पष्ट करते हुए कि कांग्रेस अध्यक्ष पिछले 45-50 वर्षों से ट्रस्टी रहे हैं, पटेल ने कहा,”मैं विधेयक पर बहस के दौरान सदस्यों द्वारा उठाए गए हर मुद्दे का जवाब दूंगा.”

1951 अधिनियम के तहत, मेमोरियल के ट्रस्टियों में अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष, संस्कृति मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, पंजाब के राज्यपाल, मुख्यमंत्री शामिल हैं. इसके साथ ही पंजाब और केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति भी इसमें शामिल हैं.

यह बिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के जलियांवाला बाग ट्रस्ट में स्वचालित नामांकन को हटाने का प्रस्ताव रखता है. इसके अलावा, यह स्पष्ट करता है कि जब लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं होता है, तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता ट्रस्टी होगा.

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अधिनियम में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा और वे फिर से नामांकन के लिए योग्य होंगे. हालाँकि, विधेयक में एक विशेष प्रावधान जोड़ा गया है, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार को कारण बताए बिना कार्यकाल की समाप्ति से पहले किसी भी नामित ट्रस्टी के कार्यकाल को समाप्त करने की अनुमति दी जाएगी.

मोदी सरकार ने फरवरी 2019 में लोकसभा में इसे पारित करते हुए अपने पहले कार्यकाल के अंत तक इसके लिए विधेयक लाने का प्रयास किया था. हालांकि, राज्यसभा ने कांग्रेस पार्टी के कड़े विरोध के बीच विधेयक पारित नहीं किया गया था.

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