Hindi Newsportal

World No Tobacco Day: वैपिंग से धुएं का छल्ला बनाने के शौकीन हो जाएं सतर्क, सिगरेट जितना ही हो सकता है हानिकारक

0 1,825
World No Tobacco Day: वैपिंग से धुएं का छल्ला बनाने के शौकीन हो जाएं सतर्क, सिगरेट जितना ही हो सकता है हानिकारक

 

देश और दुनिया में आज यानी 31 मई को ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ मनाया जा रहा है। हर साल यह 31 मई को मनाया जाता है। एक डाटा के मुताबिक दुनिया में हर साल करीब 80 लाख लोगों की सिर्फ तंबाकू का सेवन करने के कारण मृत्यु हो जाती है। लेकिन इसके बावजूद लोग किसी न किसी तरह से इसका सेवन जारी रखते हैं।

ऐसे में लोगों को तंबाकू से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस’ यानी ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ मनाया जाता है। इस मौके पर आज उक्त लेख के माध्यम से लोगों को वेप से होने वाले खतरे तथा इससे शरीर को होने वाले नुकसान से अवगत करवाना है।

तंबाकू या फिर किसी भी तरह का नशा करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। पहले लोगों में बीड़ी, सिगरेट और सिगार का ही चलन था। वह अधिकतर इन्हीं के माध्यम से तंबाकू का सेवन करना पसंद करते थे। लेकिन जब लोगों में तंबाकू से होने वाले खतरे को लेकर जागरूकता बढ़ी तो लोगों ने इसका एक नया विकल्प निकाला। इन विकल्पों का नाम है इ-सिगरेट्स या वेपिंग। अब लोग सिगरेट और बीड़ी के बाद धड़ल्ले से वेपिंग का सेवन कर रहे हैं। लोगों में ऐसी भ्रांति है कि वापिंग का सेवन करने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। जबकि यह सिर्फ लोगों की गलतफहमी मात्र है।

आईये जानते हैं कि ई- सिगरेट्स और वेपिंग किस तरह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और यह सेहत पर किस तरह असर डालती हैं

वैसे तो भारत में इ-सिगरेट्स व वैपिंग के नुकसानों को ध्यान में रखते हुए इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो सिगरेट से होने वाले नुकसान को खत्म करने के लिए वेप का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, कई रिसर्च से पता चलता है कि वेप करना एक सुरक्षित विकल्प नहीं है, बल्कि यह भी सेहत को उतना ही नुकसान पहुंचाता है, जितना की सिगरेट।

वेप का इस्तेमाल फैफड़ों को सबसे पहले नुकसान पहुंचाता है। वेप से निकलने वाला केमिकल धुआँ फफड़ों तक पहुंचता हैं। जिससे फफड़ों में सूजन आ जाती है और फिर आगे चलकर नुकसान होना शुरू हो जाता है। इससे ब्रॉन्काइटिस, अस्थमा और सांस से जुड़े दूसरे तरह की जानलेवा दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं।

वेप का उपयोग कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। लंबे समय तक वेप का इस्तेमाल करने से शरीर में टॉक्सिक पदार्थ के साथ कई नुकसान करने वाले केमिकल्स जमा होने लगते हैं। वैपिंग  की आदत मुंह के कैंसर, जबान के कैंसर या फिर गले के कैंसर का खतरा बढ़ाती है।

लगभग सभी तरह के वेप में निकोटीन जरूर मौजूद होता है, जिसकी लत लग जाती है और इससे दिल के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। रोज अगर वेप का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे आपको लत लग सकती है। निकोटीन की लत सेहत के लिए ठीक साबित नहीं होती।

कई रिसर्च की परिणामों ने चिंता जताई है कि वैपिंग से दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा भी बढ़ता है। रोज वैपिंग  करने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाइपरटेंशन जैसी दिक्कतें बढ़ती हैं। वेप का इस्तेमाल शरीर में ब्लड प्रेशर के स्तर को भी बढ़ाता है।

 वेप को लेकर भ्रांतियां 

वैपिंग फेफड़ों के लिए नुकसानदायक नहीं है

बता दें कि वैपिंग का धूआं ठंडा होता है लेकिन इसके बावजूद भी यह नुकसान पहुंचाता है। इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट भारी मात्रा में होते हैं हांलाकि यह फेफड़ों को जलाता नहीं है। 

वैपिंग के धुएं में निकोटीन कम होता है

वैपिंग में निकोटिन होता है जो इसे पीने पर हमारे शरीर में सीधा प्रवेश करता हैं। यह हानिकारक पदार्थ निकोटिन हाथ-पैरों की खून की नलियों में धीरे-धीरे कमजोरी व सिकुड़न पैदा करना शुरू कर देता है।

वैपिंग में मिलाया जाने वाला फ्लेवर स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाता है

यह भी एक बहुत बड़ी भ्रान्ति है। वैपिंग का स्‍वाद बदलने के लिए केवल उसमें फ्रूट सीरप मिलाया जाता है, जिससे उसके फ्लेवर में बदलाव आ जाता है। जबकि लोगों को लगता है कि ये बहुत नुकसान दायक नहीं है।

वैपिंग का पानी सभी विषैले तत्वों को फिल्टर कर देता है

पानी कभी धूएं को फिल्टर नहीं करता है। यह बिल्‍कुल गलत है, बल्कि यह आपको सिगरेट की तरह ही नुकसान पहुंचाता है।