2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित हुआ, विधेयक को 288 के मुकाबले 232 मतों से सदन की मंजूरी मिल गई. यह विधेयक वक्फ बोर्डों की संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है, जिसमें अब गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा. इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने के लिए सदन की बैठक रात लगभग दो बजे तक चली. इसके अलावा, मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 का निरसन करने वाला मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 भी सदन में ध्वनि मत से पारित हो गया.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को विधेयक सदन में पेश किया और चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि यह मुस्लिम समुदाय के हित में है.
विधेयक के विरोध में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में इसकी प्रति फाड़कर विरोध जताया, इसे मुस्लिम समुदाय का अपमान बताते हुए कहा कि यह उन्हें द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाने का प्रयास है.
सरकार का दावा है कि इन संशोधनों से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और विविधता आएगी, जबकि विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन करता है और उनकी संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है.
मुख्य बदलाव:
- धारा 40 को हटाया गया:
- पहले वक्फ बोर्ड के पास यह अधिकार था कि वह किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ घोषित कर सकता था, भले ही उसका मालिकाना हक किसी अन्य के पास हो.
- इस अधिकार के कारण कई विवाद हुए थे, जिसमें वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत संपत्ति मालिकों के बीच कानूनी लड़ाइयां बढ़ गई थीं.
- अब यह धारा हटने से वक्फ बोर्ड के अधिकार सीमित हो जाएंगे और वे किसी भी संपत्ति को सीधे वक्फ संपत्ति घोषित नहीं कर सकेंगे.
- वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव:
- पहले वक्फ बोर्ड में केवल मुस्लिम सदस्य होते थे, लेकिन अब इसमें गैर-मुस्लिमों को भी शामिल किया जा सकता है.
- सरकार का तर्क है कि इससे पारदर्शिता आएगी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं मजबूत होंगी.
- हालांकि, मुस्लिम संगठनों का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के मामलों में बाहरी हस्तक्षेप बढ़ेगा.
- भूमि विवादों को कम करने की कोशिश:
- इस विधेयक के जरिए सरकार वक्फ संपत्तियों से जुड़े भूमि विवादों को कम करने का प्रयास कर रही है.
- पिछले कुछ वर्षों में वक्फ बोर्डों और निजी व्यक्तियों के बीच हजारों कानूनी मामले अदालतों में लंबित हैं.
- सरकार ने यह तर्क दिया कि संशोधन से इन विवादों में कमी आएगी और संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा.
विरोध क्यों हो रहा है?
- मुस्लिम नेताओं और संगठनों की आपत्ति:
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और लोकसभा में इसकी प्रति तक फाड़ दी.
- उनका कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास है और इससे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा कमजोर हो जाएगी.
- कई मुस्लिम संगठनों ने भी आरोप लगाया कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों पर बाहरी हस्तक्षेप बढ़ेगा और समुदाय की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा.
- राजनीतिक विवाद:
- विपक्षी दलों ने सरकार पर मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को सीमित करने का आरोप लगाया.
- कुछ राजनीतिक दलों का मानना है कि सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ संपत्तियों पर अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण पाना चाहती है.
- सरकार का कहना है कि वह पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार के लिए यह संशोधन कर रही है.
सरकार की सफाई:
सरकार का दावा है कि यह विधेयक किसी के अधिकारों का हनन नहीं करता, बल्कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाता है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कहा कि धारा 40 को हटाने से अनावश्यक कानूनी विवाद खत्म होंगे और वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता आएगी.
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