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छोटे बच्चों की बड़ी दुनिया: प्ले स्कूल के फायदे और नुकसान

नई दिल्ली, माता-पिता होना कभी आसान काम नहीं रहा, एक तरफ़ वे अपने बच्चे को बेहतर से बेहतर देना चाहते हैं, दूसरी तरफ़ करियर और ज़िंदगी की ज़िम्मेदारियां उन्हें संतुलन बनाने पर मजबूर करती हैं, यही कारण है कि आजकल देशभर में प्ले स्कूल और डे-केयर सेंटर की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन हाल की कुछ घटनाओं—जहां छोटे बच्चों के साथ लापरवाही और हिंसा सामने आई—ने पैरेंट्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या प्ले स्कूल वास्तव में ज़रूरी हैं या फिर यह सिर्फ़ एक समाज का ट्रेंड बन चुका है?

क्यों बढ़ रही है प्ले स्कूल की मांग?

विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे के दिमाग़ का 90% विकास 5 साल की उम्र से पहले ही हो जाता है, यही वजह है कि कई माता-पिता प्ले स्कूल को बच्चे के सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए अहम मानते हैं, यहां बच्चे खेल-खेल में सीखते हैं, दोस्त बनाते हैं और औपचारिक स्कूल की तैयारी करते हैं,

प्ले स्कूल के फायदे

  1. संपूर्ण विकास: मोटर स्किल्स, भाषा और भावनात्मक संतुलन में सुधार,
  2. सुरक्षित माहौल: बच्चे घर से बाहर रहना और स्वतंत्र होना सीखते हैं,
  3. सोशल स्किल्स: दोस्ती, शेयरिंग और समस्याओं को सुलझाने की क्षमता,
  4. स्कूल रेडीनेस: आत्मविश्वास और जिज्ञासा बढ़ाकर बच्चे को आगे की पढ़ाई के लिए तैयार करना,

चुनौतियां और नुकसान

हालांकि, हर प्ले स्कूल एक समान गुणवत्ता नहीं देता, कई जगह प्रशिक्षित टीचर्स और सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होती है,

  • भीड़-भाड़ वाले क्लासरूम
  • अत्यधिक महंगे फीस स्ट्रक्चर
  • सुरक्षा से जुड़ी घटनाएं

ये सब मिलकर पैरेंट्स का भरोसा तोड़ सकती हैं,

पैरेंट्स की दुविधा: घर या प्ले स्कूल?

कुछ पैरेंट्स मानते हैं कि प्ले स्कूल बच्चों की आज़ादी और सीखने की शुरुआत के लिए ज़रूरी है, वहीं, कई लोगों का कहना है कि शुरुआती साल घर पर प्यार और देखभाल में बिताना ही बच्चे के लिए सबसे अच्छा होता है, असल में, हर परिवार का अनुभव अलग होता है—किसी के लिए यह सहारा है, तो किसी के लिए सिर्फ़ एक सोशल प्रेशर,

सही प्ले स्कूल कैसे चुनें?

विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि पैरेंट्स को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए:

  • सुरक्षित माहौल और CCTV एक्सेस
  • प्रशिक्षित और दयालु शिक्षक
  • खेल-आधारित पाठ्यक्रम
  • साफ-सुथरा वातावरण
  • छोटे बैच और पर्याप्त जगह
  • पारदर्शिता और पैरेंट्स की भागीदारी

प्ले स्कूल हर बच्चे के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन सही जगह चुनने पर यह उनके विकास की मजबूत नींव रख सकता है, वहीं, गलत विकल्प बच्चे के भविष्य के साथ समझौता भी कर सकता है,

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