भारतीय नौसेना में शामिल हुई दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS Arighat

भारत की नौसैनिक ताकत ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, आईएनएस अरिघाट के जलावतरण के साथ एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई. परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट गुरुवार को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गई. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के तेजी से बढ़ते कदमों के बीच परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी के मिलने से नौसेना की समुद्री सामरिक क्षमता और मजबूत होगी. साथ ही भारत को ‘पानी के युद्ध’ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी.
इसे विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर में बनाया गया है. इसका डिस्प्लेसमेंट 6000 टन है. लंबाई करीब 113 मीटर है. बीम 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर का है. यह पानी के अंदर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकती है. रेंज असीमित है. यानी खाने की सप्लाई और मेंटेनेंस रहे तो असीमित समय तक समंदर में रह सकती है.
कमीशनिंग समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाग लिया, जिन्होंने इस कार्यक्रम को राष्ट्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आईएनएस अरिघाट का चालू होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है.
अपने संबोधन में सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में पनडुब्बी के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि पनडुब्बी देश की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और इसकी सुरक्षा को सुरक्षित रखने में सहायक होगी. सिंह ने रक्षा में भारत की आत्मनिर्भरता के प्रमाण के रूप में पनडुब्बी के जलावतरण पर भी प्रकाश डाला.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि आईएनएस अरिघाट के निर्माण में अत्याधुनिक डिजाइन और विनिर्माण प्रौद्योगिकियां, व्यापक अनुसंधान और विकास और उन्नत सामग्रियों का उपयोग शामिल है. इस परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और नौसेना कर्मियों का सहयोग देखा गया, जिससे यह स्वदेशी नवाचार और शिल्प कौशल का सच्चा अवतार बन गया.





