नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को धर्म और राजनीति के बीच स्पष्ट अलगाव बनाए रखना चाहिए. अदालत की यह टिप्पणी तिरूपति मंदिर के लड़्डुओं की तैयारी में कथिथ मिलावट से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आई.
मामले को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ती बीआर गवई ने इस बात पर जोर दिया कि प्रमुख पदों पर बैठे व्यक्तियों से अपेक्षा की जाती है कि वह धार्मिक मान्यताओं को राजनीतिक मामलों के साथ मिलाने से बचें. न्यायमूर्ति गवई ने आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर करे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी को जवाब देते हुए कहा, “जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं, तो हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप भगवान को राजनीति से दूर रखेंगे.”
यह मामला मंदिर के प्रसिद्ध लड्डुओं को तैयार करने में इस्तेमाल किए गए घी में मिलावट किए जाने वाले आरोपों से उठा. आदालत ने राज्य की कार्रवाई पर आपत्ति जताई और सवाल उठाया कि जांच पूरी होने से पहले मुद्दे की जानकारी सार्वजनिक रूप से क्यों प्रकट की गई. पीठ ने मीडिया की पहुंच पर अपनी नाराजगी का संकेत देते हुए कहा, “आपने एक विशेष जांच दल का आदेश दिया. तो, जब तक नतीजे नहीं आ जाते, प्रेस से संपर्क करने की क्या जरूरत थी.”
न्यायमूर्ति गवई ने दूषित घी की प्रकृति पर भी जिंता जताई और पूछा कि क्या इसका उपयोग वास्तव में पवित्र प्रसादम के लिए किया गया था. जांच पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ को आश्वत किया कि मामला अभी भी जांच के दायरे में है. लूथरा ने अदालत को सूचित किया, हम अभी भी जांच कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि लड्डू के स्वाद में बदलाव के संबंधित में भक्तों की ओर से शिकायतें मिली हैं.