भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों यूरोपीय दौरे पर हैं। सोमवार को उन्होंने बेल्जियम के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मैक्सीम प्रेवो से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। जयशंकर ने बेल्जियम द्वारा आतंकवाद के खिलाफ भारत को दिए जा रहे समर्थन की सराहना की और दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की तारीफ की। उन्होंने बताया कि भारत और बेल्जियम के बीच व्यापार, हरित ऊर्जा, तकनीक, फार्मा और हीरा उद्योग जैसे क्षेत्रों में मज़बूत साझेदारी है।
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में जयशंकर ने कहा, “बेल्जियम यात्रा की शुरुआत में डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री मैक्सीम प्रेवो से मिलकर खुशी हुई। आतंकवाद के खिलाफ उनके समर्थन की सराहना करता हूं। दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, रक्षा-सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और लोगों की आवाजाही जैसे कई क्षेत्रों में व्यापक चर्चा हुई।”
Pleased to meet DPM & FM @prevotmaxime at the start of my visit to Belgium.
Welcomed Belgium’s support and solidarity in combatting terrorism.
Appreciated the strong momentum of our bilateral engagement and the India – EU partnership.
Also held wide – ranging discussions on… pic.twitter.com/5GQbSROYUX
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) June 9, 2025
जयशंकर 8 से 14 जून तक फ्रांस, बेल्जियम और यूरोपीय संघ की यात्रा पर हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भारत के इन साझेदारों के साथ संबंधों को और गहरा करना है। बेल्जियम यात्रा के दौरान जयशंकर वहां के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे और भारतीय समुदाय के लोगों से भी बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, वह यूरोपीय संघ की उच्च प्रतिनिधि और उपाध्यक्ष काया कैलास के साथ एक रणनीतिक संवाद भी करेंगे। इसके अलावा, वह यूरोपीय आयोग और संसद के वरिष्ठ नेताओं, थिंक टैंकों और मीडिया प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे।
बेल्जियम के बाद जयशंकर फ्रांस के पेरिस और मार्से पहुंचेगे। वहां वह फ्रांस के यूरोप और विदेश मामलों के मंत्री जीन नोएल बैरो से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और ‘मेडिटेरेनियन राइसीना डायलॉग’ के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लेंगे। भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग के गहरे संबंध हैं, जो इस यात्रा से और मज़बूत होंगे।
जयशंकर की यह यात्रा यूरोप के साथ भारत के रिश्तों को नई दिशा देने और रणनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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