भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम को लेकर विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को प्रेस वार्ता की। इस दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि कश्मीर मुद्दे पर भारत किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। उन्होंने दो टूक कहा कि पाकिस्तान को पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) खाली करना होगा, यही भारत का पुराना और स्थायी रुख है।
विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि 10 मई को दोपहर 3:35 बजे भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच संघर्ष विराम को लेकर बातचीत हुई थी। इससे पहले पाकिस्तान की तकनीकी समस्याओं के कारण हॉटलाइन कनेक्ट होने में देरी हुई थी। भारतीय सेना की ओर से संपर्क के प्रयासों के बाद यह संवाद संभव हो सका।
जायसवाल ने बताया कि 10 मई की सुबह भारतीय सेना ने पाकिस्तान के एक एयरबेस को तबाह कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तान ने फायरिंग और सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने संघर्ष विराम के लिए पहल नहीं की, बल्कि भारत की सैन्य कार्रवाई के दबाव में यह कदम उठाया गया।”
प्रवक्ता ने बताया कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति बनने तक भारत और अमेरिका सहित कई देशों के नेताओं के बीच सैन्य हालात को लेकर संवाद हुआ, लेकिन इन चर्चाओं में व्यापार जैसे किसी मुद्दे को नहीं छुआ गया।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) के निर्णय के अनुसार सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने वर्षों से आतंकवाद को बढ़ावा देकर इस संधि की भावना को ठेस पहुंचाई है। अब यह संधि तभी बहाल होगी जब पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को स्पष्ट, स्थायी और भरोसेमंद तरीके से छोड़ने का प्रमाण देगा।
प्रवक्ता ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि एक ऐसा देश जो औद्योगिक स्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा देता है, अगर यह सोचता है कि वह इसके परिणामों से बच सकता है, तो यह उसकी भूल है। भारत ने आतंकवादी ढांचों को नष्ट कर सिर्फ देश की नहीं, बल्कि दुनिया भर के मासूमों की भी रक्षा की है। “अब एक नया नॉर्मल स्थापित हो चुका है, जितनी जल्दी पाकिस्तान इसे समझेगा, उतना ही बेहतर होगा।”
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