तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए मारिया मचाडो को मिला वैश्विक सम्मान

नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की। इस साल शांति पुरस्कार को लेकर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को इसका सबसे बड़ा दावेदार मान रहे थे और उन्होंने कई मंचों पर यह जताने की कोशिश भी की थी।
इस वर्ष कुल 338 व्यक्तियों और संगठनों को शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। नियमों के अनुसार, इन नामांकनों की पूरी सूची अगले 50 वर्षों तक गोपनीय रखी जाएगी। पिछले वर्ष यानी 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार, परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों के लिए जापान में हुए परमाणु हमले से बचे लोगों के समूह ‘निहोन हिडानक्यो’ को दिया गया था।
कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला में लोकतंत्र बहाली के आंदोलन की प्रमुख चेहरा हैं। नोबेल समिति ने कहा कि मचाडो को यह सम्मान तानाशाही से लोकतंत्र में न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण परिवर्तन लाने के उनके अथक प्रयासों के लिए दिया गया है।
वेनेजुएला के गहराई से विभाजित विपक्ष को एकजुट कर स्वतंत्र चुनाव और प्रतिनिधि सरकार की मांग उठाने में मचाडो ने अहम भूमिका निभाई। समिति ने उन्हें लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस का एक असाधारण उदाहरण बताया है।
सत्तावादी शासन के दबाव के बावजूद मचाडो ने लोकतांत्रिक विकास के लिए ‘सुमेट’ (SUMATE) नामक संगठन की स्थापना की थी और पिछले दो दशकों से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए संघर्ष कर रही हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार से क्या मिलता है?
नोबेल शांति पुरस्कार का वितरण हर साल 10 दिसंबर को किया जाता है — यह वही दिन है जब इन पुरस्कारों के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल का निधन हुआ था। अल्फ्रेड नोबेल स्वीडन के एक धनी उद्योगपति थे, जिन्होंने डायनामाइट का आविष्कार किया था और 1896 में उनका निधन हो गया था।
पुरस्कार विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 10.5 करोड़ रुपये) की धनराशि, 18 कैरेट सोने का मेडल और एक डिप्लोमा प्रदान किया जाता है।





