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फैक्ट चेक: बुर्काधारी महिला द्वारा उठक-बैठक लगाने वाला यह वीडियो खरगौन का नहीं, जाने पूरा सच

फैक्ट चेक: बुर्काधारी महिला द्वारा उठक-बैठक लगाने वाला यह वीडियो खरगौन का नहीं, जाने पूरा सच

 

सोशल मीडिया पर एक बुर्काधारी महिला का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में बुर्का पहनी हुई एक महिला को कुछ पुलिस कर्मियों के सामने कान पकड़ कर उठक बैठक लगाते हुए देखा जा सकता है। इसी वीडियो को सोशल मीडिया पर मौजूदा दिनों में शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो मध्य प्रदेश के खरगौन का है।

फेसबुक पर उक्त वीडियो को शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि,”कान पकड़ कर उठक बैठक करती हुई सलमा अब से पत्थर नही फेकेगी, वीडियो मध्य प्रदेश के खरगौन का बताया जा रहा

 

 

फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।

फैक्ट चेक: 

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से पता चला कि वायरल वीडियो मध्यप्रदेश के खरगौन का नहीं है, साथ ही यह दो साल से भी ज्यादा पुराना है।

क्या वायरल वीडियो मध्यप्रदेश के खरगौन का है? इस बात का सच जानने के लिए हमने पड़ताल की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले वीडियो को InVid टूल के माध्यम से कुछ कीफ्रेम्स में तोड़ा और फिर गूगल पर यांडेक्स टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया।

जिसके बाद हमें वायरल वीडियो ट्विटर पर  मई 02,साल 2020 को Md Iqbal नामक यूज़र द्वारा किए गए एक पोस्ट में मिला। हालांकि यूज़र ने वीडियो की कोई खास जानकारी नहीं दी थी, लेकिन प्राप्त इस पोस्ट से यह साफ़ हो गया कि यह वीडियो हालिया दिनों का नहीं है। बल्कि कई वर्ष पुराना है।

वायरल वीडियो की ठोस जानकारी के लिए हमने गूगल पर और बारीकी से खोजना शुरू किया। जिसके बाद हमें वायरल वीडियो यूट्यूब के S24 news नामक चैनल पर मिला जिसे यूट्यूब पर अप्रैल 18, 2020 को अपलोड किया गया था।

यूट्यूब पर दी गयी जानकारी के मुताबिक यह वीडियो लॉकडाउन के दौरान गुजरात के सूरत में शूट किया गया था। यूट्यूब पर प्राप्त वीडियो में बताया गया है कि लॉकडाउन के नियमों का पालन ना करने पर पुलिस ने इस महिला से सजा के तौर पर उठक-बैठक करवाई थी।

वायरल वीडियो की पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से पता चला कि यह वीडियो मध्यप्रदेश के खरगौन का नहीं बल्कि गुजरात के सूरत से है, जिसे लॉकडाउन के दौरान शूट किया गया था।

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Nupendra Singh

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encourages me to work as a fact-checker in NewsMobile. I believe one should always check the facts before sharing any information with others. I have gained two years of experience in fact-checking

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