उत्तर प्रदेश में अब डिस्क जॉकी यानी DJ पूरे जोश के साथ बज सकेंगे। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के डीजे पर पाबंदी लगाने वाले आदेश पर रोक लगा दी है। बता दे तीन साल पहले हाई कोर्ट के लगाए प्रतिबंध वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बदल दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के डीजे पर लगाए गए बैन को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती, अब SC ने नए आदेश में दिए यह निर्देश।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट के डीजे पर लगाए गए बैन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि कानूनी तरीके से वैध तरीके से जारी किए गए लाइसेंस धारक ही प्रदेश में डीजे बजा सकते हैं।
और क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ?
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि जिस याचिका पर आदेश जारी हुआ उसमें ऐसी कोई मांग नहीं की गई थी। याचिकाकर्ता ने सिर्फ एक इलाके में हो रहे शोर का मसला रखा था, लेकिन हाईकोर्ट ने पूरे राज्य के लिए आदेश दे दिया. ऐसा करते समय प्रभावित पक्षों को सुना भी नहीं गया।
2019 में लगा था प्रतिबन्ध।
दरअसल, 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूरे राज्य में DJ बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रयागराज के नागरिक सुशील कुमार ने 2019 में कावड़ यात्रा के दौरान ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाकर आए दिन डीजे बजाने की वजह से ध्वनि प्रदूषण और नागरिकों को होने वाली परेशानी से निजात दिलवाने की गुहार लगाई थी।
इसीलिए लगाया था प्रतिबंध।
सुशील ने अपनी याचिका में अपने प्रयागराज के हाशिम पुर स्थित घर के पास कांवड़ शिविर लगने और एलसीडी स्क्रीन पर भोर चार बजे से आधी रात तक बजने वाले कानफाडू गानों से अपनी बुजुर्ग मां और अन्य परिजनों को होने वाली परेशानी का ब्योरा दिया था। इस पर हाईकोर्ट ने पूरे राज्य में डीजे बजाने पर पाबंदी लगा दी थी।
दर्जन भर डीजे वालों ने फिर खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा।
इधर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिलाधिकारियों को इस पर अमल सुनिश्चित करने का आदेश दे दिया था। जिसके बाद इसे राज्य के करीब दर्जन भर डीजे वालों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद ये कहा कि इस आदेश से डीजे वालों के आजीविका के बुनियादी अधिकार का हनन हुआ है डीजे का लाइसेंस रखने वाले अब नियमों के तहत डीजे बजा सकते हैं ।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुनते हुए कही यह बात भी।
जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने डीजे संचालकों को राहत देते हुए यह भी कहा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पहले दिए गए निर्देशों का पालन किया जाए साथ ही राज्य सरकार की तरफ से बनाए गए नियमों के मुताबिक लाइसेंस लेकर ही डीजे बजाया जाए।