आज है मंगल पाण्डेय की 165 वीं पुण्यतिथि, जानें 1857 की क्रांति की कहानी
1857 में स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी भड़काने वाले क्रांतिकारी मंगल पाण्डेय आज 165वीं पुण्यतिथि है। 1857 की क्रांति के महानायक अमर बलिदानी देश की क्रांति के पुरोधा मंगल पांडे का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। जिस वक्त भारत में अंग्रजी हुकूमत का राज था उस दौर में अंग्रेजी फौज के भारतीय सिपाही मंगल पांडेय ने विद्रोह का बिगुल फूंका था। मंगल पाण्डेय पर अंग्रेज अफसरों की हत्या का आरोप लगा और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया जिसके बाद अंग्रेजी सरकार ने उन्हें आठ अप्रैल 1857 को फांसी दे दी।
Remembering the famous Indian freedom fighter, Mangal Pandey, on his death anniversary, for his immense contribution to the Sepoy Mutiny of 1857. #MyGovMorningMusings pic.twitter.com/eD1DSI3DvO
— MyGovIndia (@mygovindia) April 8, 2022
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के ग्राम नगवा में पंडित दिवाकर पांडे के पुत्र मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को हुआ। 22 वर्ष की उम्र में 10 मई 1949 को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हुए तो उनकी तैनाती 19वीं रेजीमेंट के 5वीं कंपनी के 1446 नंबर के सिपाही के तौर पर की गयी। वे काफी स्वस्थ और गठीले शरीर के थे। अपनी बहादुरी, साहस एवं गंभीरता के लिए वे प्रसिद्ध थे। इनकी लंबाई 8 फुट ढाई इंच थी।
कहानी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की
क्रंतिकारी मंगल पांडेय की नौकरी के करीब 1 साल बाद ही उनकी कंपनी में नई इनफील्ड राइफल लाई गई. कथित तौर पर इस राइफल की कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी मिली होती थी। इस कारतूस को चलाने के लिए मुंह से काटकर राइफल में लोड करना होता था, जोकि भारतीय सैनिकों को मंजूर नहीं था। आखिरकार इसी के विरोध में मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को ‘बैरकपुर छावनी’ में अपने अफसरों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था।
‘खुला विद्रोह’ 10 मई, दिन रविवार को शाम 5 व 6 बजे के मध्य प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम पैदल टुकड़ी ’20 एन.आई.’ में विद्रोह की शुरुआत हुई, उसके बाद ‘3 एल.सी.’ में भी विद्रोह फैल गया। इन विद्रोहियों ने अपने अधिकारियों के ऊपर गोलियां चलाई। मंगल पांडे ने ‘हियरसे’ को गोली मारी थी, जबकि ‘अफसर बाग’ की हत्या कर दी गई थी। मंगल पांडे को 8 अप्रैल को फांसी दे दी गई। 9 मई को मेरठ में 85 सैनिकों ने नई राइफल इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया जिनको नौ साल जेल की सजा सुनाई गई।