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सैफ को एक और झटका, पटौदी परिवार की 15,000 करोड़ की संपत्ति पर मंडराया खतरा

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बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान हाल ही में एक जानलेवा हमले का शिकार हुए थे, जिसके बाद वह मंगलवार को अस्पताल से घर लौटे। हालांकि, मुश्किलें उनके लिए यहीं खत्म नहीं हुईं। अब सैफ अली खान और उनके पटौदी परिवार की भोपाल स्थित 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2015 में इन संपत्तियों पर लगी रोक को हटा दिया है, जिससे सरकार को शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत इन्हें अपने नियंत्रण में लेने का रास्ता मिल गया है।

 

क्या है पटौदी परिवार की संपत्ति का विवाद?

 सैफ अली खान के परिवार की यह संपत्ति भोपाल की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। इसमें फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, दार-उस-सलाम, हबीबी का बंगला, अहमदाबाद पैलेस, कोहेफिजा प्रॉपर्टी जैसी कई प्रमुख संपत्तियां शामिल हैं। इन संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग 15,000 करोड़ रुपये आंका गया है। सैफ अली खान ने बचपन में फ्लैग स्टाफ हाउस में अपना समय बिताया है, जो इन संपत्तियों का एक हिस्सा है।

 

शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत मामला

शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत, भारत सरकार उन लोगों की संपत्ति पर दावा कर सकती है जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे। भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान की तीन बेटियां थीं। इनमें से सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गईं, जबकि दूसरी बेटी साजिदा सुल्ताना भारत में रहीं और नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की। साजिदा सुल्ताना को इन संपत्तियों की कानूनी उत्तराधिकारी माना गया, और बाद में सैफ अली खान को इसका एक हिस्सा विरासत में मिला।

 

हालांकि, आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान जाने के कारण इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की गई। 2019 में, अदालत ने साजिदा सुल्ताना को संपत्ति की वैध वारिस माना था, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के हालिया फैसले ने इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है।

 

हाईकोर्ट का फैसला और असर

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2015 में इन संपत्तियों पर लगाए गए रोक को हटा दिया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि संशोधित शत्रु संपत्ति अधिनियम, 2017 के तहत सभी पक्षों को वैधानिक उपाय अपनाने की अनुमति है। कोर्ट ने संबंधित पक्षों को 30 दिनों के भीतर अभ्यावेदन दाखिल करने का निर्देश दिया है।

 

भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने भी इन संपत्तियों के स्वामित्व रिकॉर्ड की समीक्षा शुरू करने की योजना की घोषणा की है। इन जमीनों पर बसे 1.5 लाख निवासियों में भी बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि सरकार इन संपत्तियों को किराए के आधार पर लीजिंग कानूनों के तहत अपने नियंत्रण में ले सकती है।

 

शत्रु संपत्ति अधिनियम क्या है?

शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 भारत सरकार को विभाजन के बाद पाकिस्तान या चीन गए नागरिकों की संपत्ति जब्त करने की अनुमति देता है। यह संपत्ति उस व्यक्ति की उत्तराधिकारी होने पर भी विवाद का कारण बन सकती है, जिसने विभाजन के बाद भारत छोड़ दिया हो।

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