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अमेरिका ने यमन में हूतियों पर किए हवाई हमले, ट्रंप ने दी थी सख्त चेतावनी

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अमेरिका ने यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं, जिसमें कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई और 101 से अधिक घायल हो गए। इन हमलों का आदेश राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तब दिया, जब हूतियों ने लाल सागर में इजराइल से जुड़े जहाजों पर हमले फिर से शुरू करने की धमकी दी थी।

राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि अगर हूतियों ने जहाजों को निशाना बनाया, तो उन्हें “नरक की बारिश” झेलनी पड़ेगी। अमेरिका का कहना है कि ये हमले लाल सागर में जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और हूती हमलों को रोकने के लिए किए गए हैं।

हूतियों ने अपनी धमकी में कहा था कि अगर इजराइल गाजा में मानवीय सहायता पर लगे प्रतिबंध को नहीं हटाता, तो वे फिर से लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू करेंगे। बता दें कि इजराइल ने तीन हफ्तों से गाजा में किसी भी तरह की मानवीय मदद को रोक रखा है, जिससे वहां करीब 20 लाख लोगों पर भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है।

व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हूती हमलों के कारण लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों की संख्या घट गई है। पहले हर साल यहां से करीब 25,000 जहाज गुजरते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 10,000 रह गई है। बयान के मुताबिक, 2023 से अब तक अमेरिकी वाणिज्यिक जहाजों पर 145 हमले हो चुके हैं, जिनमें से आखिरी हमला दिसंबर में हुआ था।

गाजा में संघर्ष विराम लागू होने के बावजूद इजराइल की सैन्य कार्रवाई जारी है। हालिया हमलों में बेत लाहिया में नौ लोगों की मौत हो गई, जिनमें पत्रकार और राहतकर्मी भी शामिल हैं। हमास ने इसे संघर्ष विराम का उल्लंघन बताया है, जबकि इजराइली सेना ने संकेत दिए हैं कि वह बंधकों की रिहाई को लेकर दबाव बनाने के लिए गाजा में सीमित सैन्य अभियान जारी रख सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और हूतियों के बीच बढ़ता टकराव क्षेत्रीय स्थिरता को और प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, गाजा में इजराइल की लगातार कार्रवाई से भी तनाव बढ़ने की आशंका है। अब यह देखना होगा कि ट्रंप प्रशासन इन हालात को कैसे संभालता है और क्या कोई कूटनीतिक समाधान निकल सकता है।

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