राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दलित समाज सुधारक और भारतीय संविधान के जनक डॉ भीमराव अंबेडकर को उनकी 128 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी. इस दिन को अंबेडकर जयंती या भीम जयंती के रूप में भी जाना जाता है.
इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, बसपा सुप्रीमो मायावती और कई अन्य गणमान्य लोगों ने बाबासाहेब को श्रद्धांजलि दी.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने इस मौके पर ट्वीट करते हुए लिखा कि अंबेडकर जयंती के दिन हम उनको नमन करते हैं. उन्हें हमारे देश के आदर्श के रूप में देखा जाता है.
Homage to Dr B.R. Ambedkar on his birth anniversary. An icon of our nation, and Chief Architect of the Constitution, Dr Ambedkar waged a life-long struggle for a modern India free of caste and other prejudices, ensuring equal rights for women and weaker sections #PresidentKovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) April 14, 2019
इसके साथ ही राष्ट्रपति ने लिखा कि अंबेडकर भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन एक ऐसे आधुनिक भारत की संरचना में अर्पित कर दिया, जो जाति और अन्य पूर्वाग्रहों से मुक्त हो और जिसमें महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित किया जाए.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट कर लिखा, ” संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रणेता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को उनकी जयंती पर सादर नमन। जय भीम!”
संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रणेता बाबासाहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर को उनकी जयंती पर सादर नमन। जय भीम! pic.twitter.com/KIZVJC725r
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) April 14, 2019
ट्विटर पर एक वीडियो द्वारा श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वह (अंबेडकर) मेरे सहित करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं. एक व्यक्ति के अमीर परिवार में जन्म लेना ज़रूरी नहीं होता. भारत में, एक गरीब परिवार में पैदा हुआ व्यक्ति भी बड़ी चीजों का सपना देख सकता है और उन्हें हासिल कर सकता है.”
डॉ अंबेडकर, जिन्हें आमतौर पर बाबासाहेब के नाम से जाना जाता है, उन्होंने अपना जीवन अछूतों, महिलाओं और मजदूरों के उत्थान के लिए काम करने में ही समर्पित कर दिया.
14 अप्रैल 1891 को एक गरीब दलित परिवार में जन्मे, अंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री, भारत के संविधान के प्रमुख वास्तुकार और भारतीय लोकतंत्र के संस्थापक थे. उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था.
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उन्होंने दलितों के साथ हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ भी अभियान चलाया और 1956 में दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया.
सन 1990 में अंबेडकर को उनके अतुल्य समर्पण के लिए भारत रत्न से नवाज़ा गया.