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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, चीफ सेक्रेटरी के तबादले का आदेश वापस लेने का किया आग्रह

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ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच टकराव कम नहीं हो रहा है। अब चीफ़ सेक्रेटेरी को दिल्ली बुलाये जाने को लेकर दोनों के बीच टकराव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि वर्तमान परिस्थिति में उन्हें रिलीव करना संभव नहीं है। साथ ही आग्रह किया है कि उनके तबादले का आदेश वापस ले लिया जाए।

क्या लिखा है पत्र में ?

ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में कहा, ‘पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने के एकतरफा आदेश से स्तब्ध और हैरान हूं। यह एकतरफा आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरने वाला, ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व तथा पूरी तरह से असंवैधानिक है।

पुराने आदेश को माना जाए प्रभावी: ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने पत्र में आगे कहा, ‘केंद्र ने राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद मुख्य सचिव का कार्यकाल एक जून से अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने जो आदेश दिया था। उसे ही प्रभावी माना जाए।’ बता दें कि अलपन बंद्योपाध्याय का कार्यकाल आज (31 मई) खत्म हो रहा था, लेकिन कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए इन्हें 3 महीने का एक्सटेंशन दिया गया है।

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आदेश में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के कारणों का नहीं है उल्लेख।

ममता बनर्जी ने आगे कहा, ‘मुख्य सचिव को 24 मई को कैबिनेट सचिव द्वारा तीन महीने के लिए विस्तार दिया गया था और 28 मई को ‘एकतरफा’ आदेश देकर उन्हें दिल्ली में डीओपीटी को को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया।’ इतना ही नहीं ममता बनर्जी ने सवाल उठाते हुए कहा, ’24 मई से 28 मई के बीच क्या हुआ? यह बात समझ में नहीं आई। आदेश में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति यानी (Central deputation) के किसी विवरण या कारणों का उल्लेख नहीं है।’

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को बंगाल पहुंचे थे। वे यास तूफान से राज्य में हुए नुकसान का रिव्यू करने के लिए पहुंचे थे। इस मीटिंग में भी मुख्य सचिव अलापन बंधोपाध्याय देर से पहुंचे थे। जबकि ममता और बंधोपाध्याय उसी इमारत में मौजूद थे, जिसमें मोदी की मीटिंग चल रही थी। उनके देर से पहुंचने के बाद ही केंद्र ने उन्हें दिल्ली बुलाने का आदेश जारी कर दिया था।

इस निर्णय को लागू करना हो सकता है मुश्किल।

बता दे रिटायर्ड सीनियर ब्यूरोक्रेट्स और लीगल एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि केंद्र सरकार ने भले चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दे दिया हो, लेकिन इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है। उन्हें रिलीव करना राज्य सरकार के अधिकार में आता है। ऐसे में ममता उन्हें दिल्ली भेजने से इनकार कर सकती हैं।

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