आज का समय हो या सदियों पुरानी स्थिति, सोना किसे अच्छा नहीं लगता? और सोने के लिए लोग तो अपना क्या- क्या नहीं त्याग दे, लेकिन हर किसी के बस में ऐसी किस्मत कहा जहाँ उसे घंटों या यूँ कहें दिनों तक बिना टूटे सुकून की नींद आजाये। लेकिन आज जो कहानी हम आपको सुनाने जा रहे है उसमे ऐसा ही एक व्यक्ति है जो कुछ घंटों नहीं, हफ्ते नहीं, महीनों सोते ही रहता है लेकिन अब यह उसके खुद के लिए भी सर दर्द का विषय बन चूका है।
दरअसल राजस्थान के नागौर जिले में यह शख्स 300 दिन तक सोता है। और तो और उसका खाने से लेकर नहाना सब कुछ नींद में ही होता है। नामुमकिन सी बात लगने वाली यह घटना सच्चाई है क्युकी नागौर का 42 साल का पुरखाराम अजीब बीमारी से ग्रसित है, और यही वजह है कि लोग उसे कुंभकरण कहते हैं।
एक बार सोने के बाद 25 – 25 दिनों तक नहीं जागता पुखाराम।
उसके घर वालों की मानें तो एक बार सोने के बाद पुखाराम 25 दिनों तक नहीं जगता हैं। उनके मुताबिक इसकी शुरुआत 23 साल पहले हुई थी। शुरुआती दौर में 5 से 7 दिनों के लिए सोते थे, लेकिन उठाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। इसे परेशान घरवाले डॉक्टर के पास ले गए इलाज भी किया, लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई। धीरे-धीरे पुरखाराम के सोने का समय बढ़ता गया और अब 1 महीने में 25 दिनों तक यह सोते रहते हैं।
क्या कहना है उनकी पत्नी का ?
पुरखाराम की पत्नी लिछमी देवी के मुताबिक गांव में दुकान है, लेकिन वह भी अब बंद है। बूढ़ी मां का तो कहना है कि अभी तो खेतीबाड़ी से गुजारा हो रहा है, लेकिन एक पोते और 2 पोतियों की पढ़ाई और उनके भविष्य को लेकर वह परेशान रहती है।
एक बार सो गया पुखाराम तो उठाने के लिए घर वालों को करना पड़ता है मषक्कत, खाना से लेकर शौच तक सब करते है नींद में।
पुरखाराम के सोने के बाद उन्हें उठाना नामुमकिन हो जाता है, और तो और उन्हें नींद में ही उसके परिजन खाना खिलाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि शौच कैसे होता होगा। तो बता दे जब बाथरूम जाना होता है तो नींद में ही पुरखाराम बेचैन हो जाता है, जिसके बाद उन्हें उठाकर परिजन बाथरूम ले जाते हैं जहां उसे पकड़कर टॉयलेट सीट पर बिठाया जाता है।
जानें कौनसी बिमारी से ग्रसित है पुखराम –
एक्सपर्ट्स के मुताबिक पुरखाराम लगातार हायपरसोम्निया से पीड़ित होने के बाद सेकंडरी हायपरसोम्निया यानी अब एक्सिस हायपरसोम्निया का शिकार हो गया है। इसके चलते उन्हें लगातार कई -कई दिनों तक नींद आ रही है हालाकिं प्रॉपर ट्रीटमेंट के साथ इसका इलाज संभव है।