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फैक्ट चेक: बागपत के स्कूल में नमाज की ट्रेडिंग दिए जाने का फर्जी दावा हुआ वायरल

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फैक्ट चेक: बागपत के स्कूल में नमाज की ट्रेडिंग दिए जाने का फर्जी दावा हुआ वायरल

सोशल मीडिया के कई माध्यमों पर एक वीडियो तेजी से शेयर किया जा रहा है। वीडियो में एक शिक्षिका कुछ स्कूली छात्राओं से नमाज जैसे कुछ कराती हुई दिखाई दे रही हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया गया कि बागपत के एक स्कूल में छात्राओं को नमाज पढ़ने की ट्रेनिंग दी जा रही है।

फेसबुक पर वायरल वीडियो शेयर का हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि,’ विडीओ उत्तर प्रदेश के बागपत के एक स्कूल की बताई जा रही है ॥ स्कूल में हिंदू लड़कियों को नमाज़ की ट्रेनिंग देती यह महिला शिक्षिका ॥ इस मामले को बिल्कुल भी हल्के में ना लें बागपत के हिंदू परिवार ॥ आपकी हिंदू बेटी को भविष्य की आयशा ॥ सानिया बनाने की तैयारी है ॥ हिंदुओं से अनुरोध इस मुद्दे को हल्के में ना लेते हुए बड़े स्तर शेयर करें ‘ .

फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।

फैक्ट चेक:

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

वायरल दावे का सच पता करने के लिए हमने वीडियो के एक कीफ्रेम के साथ कुछ कीवर्ड की मदद से गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें ABP गंगा के यूट्यूब चैनल पर इस मामले पर प्रसारित एक वीडियो मिला। जिसे 28 मई को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था।

इस वीडियो में बताया गया है कि यह वीडियो बागपत जनपद के छपरौली क्षेत्र के होशियारी देवी गर्ल्स इंटर कालेज का है। यहां एक नाटक के रिहर्सल के लिए यह वीडियो शूट किया गया था। यूट्यूब वीडियो में स्कूल के प्रधानाचार्या मुनेश चौधरी के हवाले से यह बताया गया है की वायरल वीडियो साल 2022 का है, जब एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए खेले जाने वाले नाटक के लिए छात्राओं से नमाज का रिहर्सल कराया गया था। हालांकि, इस हिस्से को बाद में नाटक से हटा लिया गया था।

कीवर्ड्स की सहायता से गूगल पर खोजने के दौरान हमें बागपत पुलिस द्वारा किया गया एक ट्वीट मिला। इस ट्वीट में यह बताया गया है कि बागपत के इस स्कूल में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम कराने के लिए एक रिहर्सल के लिए इस वीडियो को शूट किया गया था। पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि छात्राओं को नमाज पढ़ाए जाने की बात झूठी है। बागपत पुलिस ने अपने इस ट्वीट में लोगों से अपील की है कि वो अफवाह ना फैलाएं।

पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से हमने जाना कि वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वायरल वीडियो असल में स्कूल के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की रिहर्सल का है।