हर साल की तरह 2021 में भी सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर फ़र्ज़ी ख़बरों का सिलसिला जारी रहा. मुद्दा कोई भी हो फेक न्यूज स्प्रेडर फ़र्ज़ी ख़बर फैलाते रहते है, जिससे लोगों तक गलत जानकारी पहुँचती है. हालाकि, न्यूज़मोबाइल जैसे संस्थान ऐसी खबरों का भाड़ा फोड़ करते रहते है.
साल 2021 की तरफ मुड़कर देखें तो नज़र आता है कि कोरोना वायरस से लेकर वैक्सीन तक को लेकर फेक न्यूज़ फैलाई गयी. आइए डालते हैं 2021 की कुछ वायरल फेक न्यूज इवेंट पर.
1. पाकिस्तान में ट्रैफिक जाम का वीडियो महाराष्ट्र का बताकर हुआ वायरल
इस साल जुलाई में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक घाटी में वाहनों की लंबी लाइन लगी थी. दावा किया जा रहा था कि वीडियो महाराष्ट्र के खंडाला का है।
पोस्ट को फेसबुक पर कैप्शन के साथ शेयर किया गया है जिसमे लिखा है, “25 जुलाई 2021 को खंडाला घाट।”
हालांकि जब न्यूज़मोबाइल ने वीडियो की पड़ताल की तो इसे गलत पाया।
हमने वायरल वीडियो से कीफ्रेम निकाले और एक पाकिस्तानी समाचार वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में वायरल वीडियो का स्क्रीशॉट पाया।
लेख 25 जुलाई, 2021 को प्रकाशित हुआ था। लेख की हेडलाइन में लिखा है, “कघन घाटी में हजारों पर्यटक संकट में हैं।” पूरी जांच करने पर हमे पता चला कि वो वीडियो महाराष्ट्र (भारत) का नहीं बल्कि पाकिस्तान में ईद के बाद लंबे ट्रैफिक जाम का था।
2. चरवाहा चराने वाली लड़की को बताया गया फ्रांस की पूर्व शिक्षा मंत्री
फ्रांस की पूर्व शिक्षा मंत्री, नजत वलौद-बेलकेसम (Najat Vallaud-Belkacem) और एक छोटी चरवाहे लड़की की एक तस्वीर का कोलाज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
तस्वीर के साथ कैप्शन में दावा किया गया है कि कोलाज के बाईं ओर छोटी लड़की कोई और नहीं बल्कि फ्रांस की पूर्व शिक्षा मंत्री नजत वलौद-बेलकेसम है और ये उनकी 20 साल पहले की तस्वीर है।
हालांकि, जब हमने छोटी लड़की की छवि को रिवर्स इमेज सर्च के माध्यम से खोजा, तो हमें कुछ अलग मिला। मेटाडाटा पर एक खोज से हमे पता चला कि ये तस्वीर यूनिसेफ की थी।
इस तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा हुआ था: “आठ वर्षीय फौजिया (Fouzia) अल हौज प्रांत (Al Haouz Province) के ग्रामीण जिले इगुएफेरोफाने (Iguerferouane) के तमेझागेटे गांव (Tamezaghete Village) में भेड़ों के झुंड के सामने एक पत्थर पर बैठी हुई है। फौज़िया ने एक साल तक स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन उसके बाद उसे स्कूल छोड़ना पड़ा क्योंकि उसके माता-पिता उसकी किताबें नहीं खरीद सकते थे यानी किताबे खरीदने में असक्षम थे।”
3. लेफ्ट की 2019 की रैली की तस्वीर 2021 में कांग्रेस-लेफ्ट की कोलकाता रैली के रूप में की गयी साझा
एक रैली में भारी भीड़ की एक तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हुई। दावा किया गया कि तस्वीरें 28 फरवरी, 2021 को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस की संयुक्त रैली की हैं, जो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले हुई थी।
लेकिन जब न्यूज़मोबाइल तस्वीर की पड़ताल की तोह पाया यह तस्वीर 3 फरवरी, 2019 को वाम मोर्चे की रैली के दौरान ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आम चुनाव से पहले आयोजित एक बड़ी सभा की थी।
4. पाकिस्तानी झंडे के साथ रिहाना की फेक तस्वीर हुई वायरल
अंतरराष्ट्रीय पॉप-गायिका रिहाना की पाकिस्तानी झंडे के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई। दरअसल ये तस्वीर उस ट्वीट के बाद से वायरल हुई जो रिहाना ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किया था।
वायरल पोस्ट के कैप्शन में लिखा है – चमचों की नई राजमाता रिहाना ।। अब आप सब कुछ समझ जाइये
लेकिन न्यूज़मोबाइल ने जब इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च के माध्यम से खोजा तो हमे ये तस्वीर ट्विटर पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा जुलाई 2019 में अपलोड की गयी मिली।
रियल Vs फेक कोलाज में यह स्पष्ट हो गया कि रिहाना ने वास्तव में वेस्टइंडीज का झंडा पकड़ा था, न कि पाकिस्तानी झंडा।
5. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी से चुनावी गठबंधन फेक न्यूज़
2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के साथ केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ साझा की गयी कि दोनों एक संभावित गठबंधन पर चर्चा करने के लिए गुप्त रूप से मिले थे।
फेसबुक यूजर्स ने तस्वीर को एक कैप्शन के साथ शेयर किया जिसमे लिखा है कि, “उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए स्मृति ईरानी और अकबरुद्दीन ओवैसी में हुई मीटिंग कि कैसे हिंदू-मुस्लिम करके भाजपा को फायदा पहुंचाना है”
हालाकि जब न्यूज़मोबाइल ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि वायरल तस्वीर पुरानी थी और झूठे दावों के साथ साझा की गयी।
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