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फैक्ट चेक: क्या ICICI, एचडीएफसी और एक्सिस बैंक का कांग्रेस ने किया था निजीकरण? जानें सच

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सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पोस्ट वायरल है जिसमें दावा किया गया है कि आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक पहले सभी सरकारी बैंक थे, जिनका बाद में निजीकरण किया गया था। इस पोस्ट में ये भी दावा किया जा रहा कि जब स्वर्गीय पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे (1991-1996) तब ही इन बैंको का निजीकरण किया गया था।

सोशल मीडिया पर एक यूज़र ने इस पोस्ट को साझा करते हुए लिखा –

एक शानदार झूठ फैलाया जाता है कि कांग्रेस सरकारी बैंक बनाती है और
मोदी सरकार उन्हें बेच देती है …
चलिए इतिहास में वापस चलते है।

आज, निजी क्षेत्र के तीन सबसे बड़े बैंक यानी ICICI बैंक HDFC बैंक और एक्सिस बैंक, तीनों ही सरकारी हुआ करते थे लेकिन मनमोहन सिंह, जो पीवी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री थे, ने उन्हें बेच दिया।

ICIC का पूरा नाम Industrial Credit and Investment Corporation of India था। यह भारत सरकार का एक संगठन था जो बड़े उद्योगों को ऋण देता था लेकिन एक ही झटके में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने इसे भंग कर दिया और इसे निजी बना दिया और इसका नाम और ICICI बैंक कर दिया गया।

आज, HDFC बैंक, इसका पूरा नाम हाउसिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया था, यह भारत सरकार का एक संगठन हुआ करता था, जो मध्यम वर्ग के लोगों को सस्ते ब्याज पर होम लोन दिया करता था। मनमोहन सिंह, जो नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री थे, ने कहा कि सरकार का एकमात्र काम शासन करना है, न कि होम लोन मुहैया कराना।

मनमोहन सिंह का एक बयान जो सार्वजनिक है उसमे उन्होंने निजीकरण को विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम बतया है और कहा है कि सरकार का काम केवल सरकार चलाना है, बैंक चलाने के लिए ऋण नहीं है। और एक झटके में, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने एचडीएफसी बैंक को बेच दिया और यह एक निजी क्षेत्र का बैंक बन गया।

एक्सिस बैंक की कहानी तो और भी दिलचस्म है।

भारत सरकार का एक संगठन हुआ करता था, इसका नाम यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया था। इस संस्था का गठन छोटी बचत को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, यानी आप इसमें छोटी रकम जमा कर सकते थे। वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री रहने के दौरान कहा कि सरकार का काम चिट फंड की योजना को चलाना नहीं है और इसे एक झटके में बेच दिया गया, पहले इसका नाम यूटीआई बैंक रखा गया और बाद में इसे एक्सिस बैंक नाम दिया गया।

 

ऊपर की पोस्ट का लिंक आप यहाँ देख सकते है।

ऐसे ही पोस्ट आप यहाँ और यहाँ भी देख सकते है।

ऐसे ही कुछ पोस्ट हमे ट्विटर पर भी मिले।

फैक्ट चेक

न्यूज़मोबाइल ने इस पोस्ट की जांच की और पाया कि ये फेक है।

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सच जानने के लिए हमने सबसे पहले ICICI बैंक का इतिहास खोजा कि ये कब और किन परिस्थितियों में बना था।

ICICI बैंक –

इंडियन क्रेडिट ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (ICICI) की पैरंट कंपनी की शुरआत 1955 में ही हो गई थी। वर्ल्ड बैंक और अमेरिकी प्रतिनिधियों ने भारत दौरे के समय देश में प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने के उद्दश्य से भारत सरकार के एक संस्थान के गठन की सलाह दी। इसके बाद भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतरगत कंपनी के रूप में इसे स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य प्राइवेट सेक्टर के उद्योगों को लॉन्ग टर्म वित्तीय सहायता देना था। बता दे इसके बाद साल 1994 में इस बैंक को ICICI ग्रुप के रूप में इनकॉर्पोरेट कर दिया गया। जनवरी 2002 में ICICI बैंक में पर्सनल फाइनैंशल सर्विस लिमिटेड और कैपिटल सर्विस लिमिटेड को मर्ज कर दिया गया। इसके बाद एक ही इकाई में होलसेल और रिटेल फाइनैंसिंग की सुविधा उपलब्ध हो गई।

इस बैंक की खासियत ये है कि विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान आईसीआईसीआई के हितधारक (stakeholders) हैं, फिर भी इसे निजी क्षेत्र का बैंक माना जाता है।

आगे और जांच करने पर हमे नवंबर 1996 में प्रकाशित एशियन डेवलपमेंट बैंक [एडीबी] का एक ऋण दस्तावेज यानी लोन डॉक्यूमेंट मिला। इसमें भी ICICI बैंक का निजी क्षेत्र के बैंक के रूप में ही उल्लेख है।

आगे हमने ICICI बैंक के बारे में और जांच कि ताकि ये पता लगा सके कि क्या पहले ये बैंक सरकारी हुआ करता था। तब हम ICICI बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर गए। यहाँ हम ‘About Us’ सेक्शन में गए जहाँ हमे लिखा मिला – ICICI बैंक को मूल रूप से एक भारतीय वित्तीय संस्थान ICICI लिमिटेड द्वारा 1994 में पदोन्नत (promote) किया गया था, और ये इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक (Wholly-Owned Subsidiary) कंपनी थी।

इसीलिए हम ये कह सकते है कि वायरल मैसेज में किया जा रहा दावा कि – ICICI बैंक पहले सरकारी बैंक था – गलत है।

HDFC बैंक –

एचडीएफसी बैंक भारत की एक बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की कंपनी है, जिसका मुख्यालय यानी (Headquarter) मुंबई में स्थित है। यह अपने सम्पति (assets) के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा निजी बैंक है।इस बैंक को अगस्त 1944 में स्थापित किया गया था और तब से अभी तक यह bank भारत के अनेक क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान करती आ रही है। अगर बात करें भारत देश के अलावा तो HDFC Bank बहरीन, हांगकांग और दुबई में भी स्थित है।

मनी कण्ट्रोल पर हमे मिली HDFC के इतिहास की जानकारी के मुताबिक – 1994 में इस बैंक को इनकॉरपोरेट (incorporate) किया गया था। ये बैंक अपनी तरह का पहला बैंक है जिसे निजी क्षेत्र बैंक स्थापित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से एक सैद्धांतिक सिद्धांत (In-principle approval) मिला था। HDFC को 10 अक्टूबर 1994 को RBI द्वारा बिज़नेस शुरू करने का प्रमाण पत्र मिला था।

बता दे कि एचडीएफसी के इतिहास के अनुसार, इसे पहले 1977 में हसमुख पारेख द्वारा स्थापित किया गया था, सरकार से किसी भी तरह की वित्तीय सहायता के बिना आवास वित्त प्रदान  (housing finance) करने के इरादे से। 1994 में इसे निजी क्षेत्र का बैंक स्थापित करने की स्वीकृति मिली। वर्ष 1995 में इसे बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त हुआ।

HDFC बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के ‘About Us ‘ सेक्शन में भी आप इस जानकारी को देख सकते है।

इतनी जानकारी से हम दावा कर सकते है कि ये बैंक पहले सरकारी बैंक नहीं था और न ही इसे सरकारी से प्राइवेट में तब्दील किया गया है।

AXIS Bank –

AXIS बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के ‘About Us ‘ सेक्शन में हमे जानकारी मिली कि बैंक एक निजी क्षेत्र का बैंक है। बैंक को 1993 में, यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (SUUTI) (तब यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाता था), भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (GIC), नैशनल इंश्योरेंस कंपनी , द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से पदोन्नत किया गया था। यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की शेयर होल्डिंग को बाद में 2003 में स्थापित इकाई SUUTI में स्थानांतरित कर दिया गया था।

इतनी जानकारी से हम दावा कर सकते है कि AXIS बैंक भी पहले से ही निजी क्षेत्र की बैंक है न कि सरकारी क्षेत्र की।

इसके अलावा जब हमने RBI की वेबसाइट की भी जांच की तो हमे AXIS, HDFC और ICICI बैंक का नाम प्राइवेट केटेगरी के अंदर ही मिला, न की उन बैंक्स की केटेगरी में जो सरकारी से प्राइवेट बैंक में तब्दील हुई हो।

इसके अलावा हमने फिर भी ऐसी रिपोर्ट्स खोजने की कोशिश की, कि क्या HDFC, AXIS या ICICI बैंक में से कोई भी बैंक पहले सरकारी था, तो बता दे हमे ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली।

हालाकिं, जांच में हमने जब बैंको के इतिहास को खोजा तो पता चला कि 1991 में प्राइवेटाइजेशन यानी निजीकरण पालिसी के बाद RBI ने 10 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिए थे, जिनमें ICICI, Axis Bank, HDFC, DCB और Indusland बैंक शामिल थे। ये जानकारी हमे बैंकर्स अड्डा डॉट कॉम पर मिली।

बता दे कि वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि IDBI बैंक के अलावा 2 अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का निजीकरण किया जाएगा।

इसकी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स आप यहाँ और यहाँ देख सकते है।

गौर करने वाली बात ये है कि हाल ही में इसी निजीकरण को लेकर देश के सरकारी बैंको के कर्मचारियों ने देशव्यापी 2 दिन की हड़ताल भी की थी। ये रिपोर्ट आप यहाँ देख सकते है।

इतनी जानकारी से हम दावा कर सकते है कि सोशल मीडिया पर ये वायरल दावा कि मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री रहने के दौरान (1991-1996) ही देश की इन 3 बैंकों का निजीकरण कर दिया था गलत है।

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