एक महिला की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ साझा की जा रही है कि वह महिला हाथरस की ‘दलित भाभी’ (जिसे नक्सली भाभी के नाम से भी जाना जाता है) वो है, और वो फिलहाल चल रहे किसानों के प्रदर्शन में भी भाग ले रही है।
पोस्ट के कैप्शन में लिखा गया है – “क्या लगता है यह कौन है? ये वही हाथरस की दलित भाभी जो अब किसानों को अपमानित कर रही हैं”।
उपरोक्त पोस्ट का लिंक आप यहाँ देख सकते है।
इस तरह के और भी पोस्ट आप यहाँ, यहाँ और यहाँ देख सकते है।
फैक्ट चेक :
न्यूज़ मोबाइल ने फैक्ट यानी तथ्य की जाँच की और सोशल मीडिया के इस दावे को झूठा पाया।
हाथरस भाभी या नक्सली भाभी कौन है?
सबसे पहले आपको ये बता दे कि न्यूज़ मोबाइल ने इसी तरह के एक और गलत पोस्ट का फैक्ट चेक किया था जिसमे कहा गया था कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के हाथरस आने पर ‘नक्सली भाभी’ को गले लगाया था।
सच तो यह है कि जिस महिला को ‘नक्सली भाभी’ कहा जा रहा है, वह असल में जबलपुर की डॉक्टर राजकुमारी बंसल है, जो कथित रूप से हाथरस में सामूहिक बलात्कार के बाद जान गंवाने वाली 19 वर्षीय दलित लड़की के परिवार ने मिलने गयी थी और तो और जबलपुर की डॉक्टर राजकुमारी बंसल वहां दो दिन रुकी भी थी।
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लेकिन उनके हाथरस दौरे के दौरान लोगों ने उसे ‘नक्सली’ के रूप में गलत समझा और दावा किया कि वह हाथरस पीड़िता की भाभी होने का नाटक कर रही है।
अब फैक्ट चेक पर वापस आते है और बताते है कि सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन की जो तस्वीर वायरल हो रही है उसमे हमने देखा कि लोग पीले और हरे झंडे पकड़े हुए थे। इसलिए हमने ‘हरे-पीले झंडे वाले, किसान और भारत कीवर्ड का उपयोग करते हुए एक खोज की। खोज हमें 2018 के एक ब्लॉगपोस्ट पर ले गया जिसमें यही तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था।
तस्वीर के कैप्शन में लिखा था – “पंजाब के एक स्थानीय किसान संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन/ BKU’ की ‘Gathering’ / ‘बैठक’ ।
इससे एक संकेत लेते हुए, हमने भारतीय किसान यूनियन की खोज की, और हमे ये फेसबुक पेज मिला।
एक व्यापक खोज के बाद, हमने पाया कि 10 फरवरी, 2020 को उनके फेसबुक पेज से यही तस्वीर अपलोड की गई थी।
इससे ये साबित होता है कि सोशल मीडिया पर ये पोस्ट पुराना है लेकिन फिर भी हमने इस पिक्चर के पृष्ठभूमि में विभिन्न ब्रांडों के नामों पर भी ध्यान दिया और स्थान की पहचान करने के लिए कई कीवर्ड खोजे।
इसी कीवर्ड खोज से हमे दिल्ली की तस्वीर मिली जिसमें रेमंड और पीटर इंग्लैंड स्टोर जैसे ब्रांडों के बोर्ड थे। लेख के मुताबिक, तस्वीर नई दिल्ली के शाहीन बाग की है।
हमने फिर Google Earth पर एक खोज की और पाया कि वायरल तस्वीर में जिस स्थान का इस्तेमाल किया गया है, वह शाहीन बाग का है।
उपरोक्त फैक्ट से हम दावा कर सकते है कि ये तस्वीर दिल्ली के शाहीन बाघ के उस वक़्त की है जब जनता CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी। इसीलिए सोशल मीडिया का ये दावा की तस्वीर किसानों के प्रदर्शन की है वो भी हाल ही की, ये गलत और भ्रामक है।
यदि आप किसी भी स्टोरी को फैक्ट चेक करना चाहते हैं, तो इसे +91 11 7127 9799 पर व्हाट्सएप करें।