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फैक्ट चेक: क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महाभारत का रचियता काज़ी नजरुल इस्लाम को बताया? नहीं. वीडियो गलत दावे के साथ हुआ शेयर

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सोशल मीडिया पे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे वो प्रसिद्ध बंगाली कवि काज़ी नजरुल इस्लाम के बारे में बात करती नज़र आ रही है।  इससे शेयर करते हुए लोगो ने दावा किया की अपने भाषण के दौरान ममता बनर्जी ने महाभारत का रचियता काज़ी नजरुल इस्लाम को बताया है।

एक फेसबुक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा, “राकेश रोशन को चांद पर भेजने के बाद अब एक और महाभारत, नजरूल इस्लाम ने लिखी थी…ये कोलावेरी दीदी क्यों”

फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।

इसे फेसबुक और ट्विटर पर काफी शेयर किया गया |

इसी वीडियो को कई मीडिया चैनल्स जैसे की लाइव हिंदुस्तान, ऑपइंडिया, टाइम्स नाउ, ज़ी न्यूज़, रिपब्लिक भारत आदि ने भी इसी वायरल दावे के साथ प्रकाशित किया है.

फैक्ट चेक

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल दावा भ्रामक है। वीडियो को गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले कुछ सम्बंधित कीवर्ड्स  माध्यम से खोजना शुरू किया। इस दौरान हमे पूरा वीडियो एआईटीसी, तृणमूल कांग्रेस के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर मिला जिसे लाइव स्ट्रीम किया गया था। दरअसल वीडियो 28 अगस्त का है जब ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के 26वां स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान भाषण दिया था। यह कार्यक्रम कोलकाता के मेयो रोड पर गांधी प्रतिमा के सामने हुआ था।

हमे वायरल हिस्से को ध्यान से देखा। वायरल वीडियो का भाग 2:51:40 मिनट से शुरू होता है। इसमें ममता बनर्जी बंगाली में कुछ कहती है जिसका हिंदी अनुवाद है, “तो, मैं आप सभी से कहूंगी कि रवींद्रनाथ के बारे में पढ़ें और उनके काम के बारे में जानें, विवेकानन्द के कार्य के बारे में पढ़ें और जानें, विवेकानन्द के कार्य के बारे में पढ़ें और जानें | रघुनाथ मुर्मू के कार्य के बारे में पढ़ें और जानें, मतुआ ठाकुर के कार्य के बारे में पढ़ें और जानें, पंचानन के बारे में पढ़ें और राजबंशी के बर्मा के बारे में पढ़ें, (पढ़ें और जानें) महाभारत…कुछ देर रुकने के बात उन्होंने कहा… नज़रूल इस्लाम ने लिखा, ‘कुरान, पुराण, वेद, वेदांत, बाइबिल, त्रिपिटक, ज़ेंद-अवेस्ता और पवित्र धर्मग्रंथों को अपनाएं, जितना हो सके उतना पढ़ें…” इसके बाद उन्होंने बंगाली कवी काज़ी नजरुल इस्लाम की कविता की कुछ पंक्तियां पढ़ीं।

इसके अलावा काज़ी नजरुल इस्लाम की जिस कविता का ज़िक्र अपने भाषण में किया था, वो पश्चिम बंगाल सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग की वेबसाइट के आधिकारिक दस्तावेज़ में पाया जा सकता है। इसके अलावा इस वीडियो को तृणमूल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक फेसबुक हैंडल पे भी शेयर किया था।

आपको बता दें की काजी नजरूल इस्लाम का जन्म 1899 में पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले में हुआ था। वह एक कवी, संगीतज्ञ और दार्शनिक थे। उनकी कविता में विद्रोह के स्वर होने के कारण उनको ‘विद्रोही कवि’ के नाम से जाना जाता है। उनका भारत की आज़ादी के लड़ाई में काफी योगदान रहा। अपना पूरा जीवन भारत की आजादी के लिए लड़ने के लिए जनता को जागृत करने में समर्पित कर दिया।   उन्हें वर्ष 1960 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।

हमारी पड़ताल में हमने पाया की ममता बनर्जी ने ये नहीं कहा कि बंगाली कवि काज़ी नज़रूल इस्लाम ने ‘महाभारत’ लिखा था। वीडियो को  गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।