राज्यसभा में चार सांसदों के कार्यकाल पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सदन में फेयरवेल स्पीच दी। इस दौरान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद पर बोलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी न केवल भावुक हो गए बल्कि उनके आंसू भी चालक पड़े। दरअसल यही हमारे देश में लोकतंत्र की ताकत और खूबसूरती है की भले की सत्ता में पक्ष और विपक्ष के बीच कटाक्षों का दौर हो लेकिन मन ही मन सबके अंदर एक दुसरे के लिए सम्मान और प्यार है।
पीएम मोदी ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए कहा कि ‘मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद इस पद को जो संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी। क्योंकि गुलाम नबी जी अपने दल की चिंता करते थे लेकिन देश की और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे। यह छोटी बात नहीं है, यह बहुत बड़ी बात है।’ मैं शरद पवार जी को भी इसी श्रेणी में रखता हूं।
इस घटना को याद कर रो पड़े पीएम।
पीएम मोदी ने कहा, ‘शायद ही कोई ऐसी घटना हो जिसमें हम दोनों के बीच कोई संपर्क सेतु न रहा हो। एक बार आतंकियों ने हमला कर दिया, करीब आठ लोग मारे गए थे। सबसे पहले मुझे गुलाम नबी जी का फोन आया। और वो फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था, उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। फोन पर ही। उस समय प्रणब मुखर्जी साहब डिफेंस मिनिस्टर थे। मैंने उनको फोन किया कि अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए। डेड बॉडी लाने के लिए। उन्होंने कहा चिंता मत कीजिए। लेकिन रात में फिर गुलाम नबी जी का फोन आया। वे एयरपोर्ट पर थे। यह कहते हुए पीएम भावुक हो गए।
इसके बाद पीएम मोदी ने रुंधे गले से भाषण पूरा किया। उन्होंने आगे कहा, ‘एयरपोर्ट से ही उन्होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्य की चिंता करेंगे, वैसी चिंता…. ‘ पीएम मोदी ने कहा पद और सत्ता जीवन में आते रहते हैं लेकिन उसे कैसे पचाना है। इतना ही नहीं इसके बाद पीएम मोदी ने गुलाम नबी आजाद की तरफ देखते हुए सैल्यूट किया।
पीएम ने अपनी फेयरवेल स्पीच को अंतिम विराम लगते हुए कहा कि एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी का घटनाओं और अनुभव के आधार पर मैं आदर करता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, नम्रता, इस देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना उन्हें चैन से बैठने नहीं देंगे।