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दिव्यांग बच्चे को उड़ान भरने से रोकने के मामले पर इंडिगो के CEO ने बच्चे के परिवार से मांगी माफ़ी

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दिव्यांग बच्चे को उड़ान भरने से रोकने के मामले पर इंडिगो के CEO ने बच्चे के परिवार से मांगी माफ़ी

 

इंडिगो एयरलाइंस ने शनिवार को रांची हवाई अड्डे पर एक दिव्यांग बच्चे को उसके माता-पिता के साथ विमान में सवार होने से रोक दिया क्योंकि वह ‘‘घबराया’’ हुआ था। इस मामले में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संज्ञान में लेते हुए खुद मामले की जांच करने तथा सख्त कार्रवाई करने की बात कही थी।

जिसके बाद इंडिगो के सीईओ रोनोजॉय दत्ता ने इस मामले को लेकर खेद जताया और विकलांग बच्चे के परिवार से माफ़ी भी मांगी है। फिर इंडिगो ने अपने CEO रोनोजॉय दत्ता के हवाले से सोमवार को बयान जारी करते हुए कहा, ‘7 मई को रांची एयरपोर्ट पर दुर्भाग्यपूर्ण वाकया हुआ, जब एक दिव्यांग टीनेजर और उसके माता-पिता हैदराबाद की फ्लाइट में नहीं चढ़ पाए। इंडिगो ने अपने बयान में कहा है कि वो विकलांग बच्चों की देखभाल के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले माता-पिता को समाज के सच्चे नायक की तरह देखती है। कंपनी ने विकलांग बच्चे के लिए इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर देने की पेशकश की है।  एयरलाइंस की ओर से जानकारी देते हुए ये भी बताया गया है कि फ्लाइट में न चढ़ने देने के बाद उसकी ओर से परिवार को होटल में ठहरने की सुविधा दी गई थी और परिवार ने अगली सुबह हैदराबाद के लिए उड़ान भरी थी।

इंडिगो ने अपने CEO रोनोजॉय दत्ता के हवाले से सोमवार को स्टेटमेंट जारी करके कहा, ‘7 मई को रांची एयरपोर्ट पर दुर्भाग्यपूर्ण वाकया हुआ, जब एक दिव्यांग टीनेजर और उसके माता-पिता हैदराबाद की फ्लाइट में नहीं चढ़ पाए। इंडिगो के सभी कर्मचारी इस वाकए को लेकर परेशान हैं। अप्रैल 2022 से लेकर अब तक हमने करीब 75 हजार दिव्यांगों को लेकर उड़ान भरी है। हमारे क्रू और एयरपोर्ट स्टाफ को खास ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि खास जरूरतों वाले यात्रियों को बेहतर ट्रीटमेंट दिया जा सके।’

कंपनी ने आगे कहा, ‘चेक-इन और बोर्डिंग प्रक्रिया के दौरान हम जाहिर तौर पर परिवार को ले जाना चाहते थे, लेकिन बोर्डिंग एरिया में टीनेजर काफी घबराया हुआ नजर आया। हालांकि यात्रियों को विनम्र और सहानुभूति से ट्रीट करना हमारी सबसे अहम जिम्मेदारी है, लेकिन सेफ्टी गाइडलाइन्स को देखते हुए एयरपोर्ट स्टाफ को एक मुश्किल फैसला लेना पड़ा। इस घटना के सारे पहलुओं की जांच करने के बाद, एक संस्थान के तौर पर हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मुश्किल घड़ी में हमने सबसे बेहतर निर्णय लिया।’