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तिलक और आज़ाद की जयंती पर पीएम मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों को दी श्रद्धांजलि, देश ने बलिदान को किया याद

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राष्ट्र ने मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानियों बाल गंगाधर तिलक और चंद्र शेखर आज़ाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को याद किया.

एक पत्रकार, शिक्षक, समाज सुधारक और वकील, बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक नायक के रूप में काम किया और आज़ादी के संघर्ष में अपना पूरा जीवन बलिदान कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद और बाल गंगाधर तिलक को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं साहसी चंद्रशेखर आजाद के साहस को सलाम करता हूं, जिन्होंने अपने शौर्य के बूते असंख्य भारतीयों का दिल जीता’.

एक अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा, ‘लोकमान्य तिलक के प्रयासों ने स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ने के लिए कई लोगों को प्रेरित किया. मैं उन्हें उनकी जयंती पर नमन करता हूं.’

तिलक ने, 1880 में, अपना स्वयं का अखबार ‘केसरी’ शुरू किया जो आज भी प्रकाशित होता है. उन्होंने 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल की सह-स्थापना की और वहां अंग्रेजी और गणित पढ़ाया. जिसके बाद उन्होंने डेक्कन एजुकेशनल सोसायटी (1884) और बाद में फर्ग्यूसन कॉलेज (1885) में आगे की पढ़ाई की.

वह लाल-बाल-पाल का हिस्सा थे जिन्होंने कांग्रेस पार्टी में पारंपरिक विचारों का प्रतिनिधित्व किया था.उन्हें “स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा ‘के नारे के लिए जाना जाता है.

महान भारतीय क्रांतिकारी चंद्र शेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक है. आज़ाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश में हुआ था.

एक स्वतंत्र भारत का सपना आज़ाद की रग-रग में ज़िंदा था. उन्होंने भगत सिंह और उनके साथियों को भी प्रशिक्षित किया था. उन्हें काकोरी ट्रेन डकैती, केंद्रीय विधान सभा बमबारी और लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की शूटिंग जैसी घटनाओं के लिए जाना जाता था, जिसने ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार को झटका दिया था.

आज़ाद की पसंदीदा कविता थी: दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही रहेेंगे!