दुनियाभर में चिंता का कारण बने कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने भारत में संक्रमण के केस बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमैटिकल साइंस के मुताबिक देश में R वैल्यू की दर एक महीने के अंदर 0.93 से बढ़कर 1.01 फीसदी हो गई है। यानी अब कोरोना का एक मरीज एक से ज्यादा व्यक्ति तक संक्रमण फैला रहा है।
मौतों और अस्पताल में मरीजों की संख्या में होती है बढ़ोतरी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. मनोज ने बताया कि R वैल्यू का बढ़ना बेहद चिंताजनक है। इससे संक्रमण के बाद मौतों और अस्पताल में मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है।
इस राज्य में है सबसे ज़्यादा मामले।
इधर सबसे ज्यादा R वैल्यू मध्यप्रदेश (1.31) और हिमाचल प्रदेश (1.3) में है।
इन 10 राज्यों में R वैल्यू है राष्ट्रीय औसत से ज्यादा।
रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों के अनुसार, देश के करीब 10 राज्यों में आर वैल्यू 1.01 की राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। प्रमुख शहरों में शामिल दिल्ली और महाराष्ट्र राष्ट्रीय औसत के आंकड़े तक पहुंचने से कुछ ही दूर है। मध्य प्रदेश (1.3) में सबसे ज्यादा आर वैल्यू है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश (1.30) और नगालैंड (1.09) का नाम है.। बता दे 5 अगस्त तक देश भर में एक हजार से ज्यादा मामले वाले आठ राज्यों में से पांच में आर वैल्यू 1 से ज्यादा थी। केरल में आरओ 1.06 था, जबकि, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में संख्या 1 को पार कर चुकी थी।
क्या है कोरोना की R वैल्यू ?
डेटा साइंटिस्ट्स के मुताबिक R फैक्टर, यानी रीप्रोडक्शन रेट। यह बताता है कि एक इन्फेक्टेड व्यक्ति से कितने लोग इन्फेक्ट हो रहे हैं या हो सकते हैं। अगर R फैक्टर 1.0 से अधिक है तो इसका मतलब है कि केस बढ़ रहे हैं। वहीं, R फैक्टर का 1.0 से कम होना या कम होते जाना केस घटने का संकेत होता है।
ऐसे समझे।
अब उदाहरण से समझे की कैसे मापी जाती है यह वैल्यू। जैसे अगर 100 व्यक्ति इन्फेक्टेड हैं। वह 100 लोगों को इन्फेक्ट करते हैं तो R वैल्यू 1 होगी। पर अगर वे 80 लोगों को इन्फेक्ट कर पा रहे हैं तो यह R वैल्यू 0.80 होगी।
हर राज्य के लिए नहीं है खतरनाक।
इधर एक तरफ R वैल्यू देश में आते संकट की और इशारा करती है लेकिन प्रत्येक राज्य में R वैल्यू उतना अभी खतरनाक नहीं है। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश जहां आर वैल्यू सबसे अधिक है लेकिन एक दिन में 30 से कम मामले यहां सामने आ रहे हैं। डॉ. मुरहेकर का कहना है कि अनियमित दैनिक संख्या के कारण आर मान अधिक है, लेकिन यह जोखिम का संकेत नहीं देता है क्योंकि परीक्षण किए गए लोगों की कुल संख्या में पॉजिटिव मामले कम है।