मध्य प्रदेश के इंदौर के एक अस्पताल में कुल 11 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई. ये त्रासदी तब हुई जब वे मोतियाबिंद के लिए ऑपरेशन करा रहे थे.
ये ऑपरेशन इंदौर आई हॉस्पिटल में किए जा रहे थे.
मामले के बारे में बोलते हुए, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रवीण जडिया ने कहा, 11 रोगियों का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “11 मरीजों का इलाज शुरू हो गया है. हम इस कारण की जांच करेंगे.”
राज्य प्रशासन ने इस बीच आदेश दिया है कि इस मामले में 72 घंटे के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक ट्वीट में कहा, इंदौर आई हॉस्पिटल में हुई घटना “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण” है. कमलनाथ ने कहा, “जिला कलेक्टर को मामले की जांच करने के लिए कहा गया है. हम जांच करेंगे कि इस अस्पताल को इस तथ्य के बावजूद संचालित करने की अनुमति कैसे दी गई कि नौ साल पहले भी इसी तरह की घटना हुई थी. दोषियों को दंडित किया जाएगा.”
इंदौर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीज़ों की आँखो की रोशनी धूमिल होने की घटना बेहद दुखद,कलेक्टर को जाँच के निर्देश।
9 वर्ष पूर्व इसी हॉस्पिटल में हुई घटना के बाद भी कैसे हॉस्पिटल को वापस अनुमति प्रदान की गयी,जाँच कर प्रबंधन व दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो
1/2— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 17, 2019
एक अन्य ट्वीट में, कमलनाथ ने कहा, “सभी रोगियों को बेहतर इलाज के लिए अन्य अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है। सरकार रोगियों को हर संभव मदद प्रदान करेगी और उनके इलाज के लिए खर्च वहन करेगी.”
सभी मरीज़ों को अन्य अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने से लेकर पीड़ित मरीज़ों की हरसंभव मदद करने के निर्देश।
इन सभी मरीज़ों के उपचार का ख़र्च शासन द्वारा वाहन करने के साथ ही ,प्रत्येक प्रभावित मरीज़ को 50-50 हज़ार की सहायता प्रदान करने के निर्देश।
2/2— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 17, 2019
मुख्यमंत्री ने सभी 11 रोगियों को 50,000 रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की है.
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मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावत ने कहा कि मरीजों को “सर्वश्रेष्ठ उपचार” दिया जा रहा है.
“मैंने आदेश दिया है कि अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए.” मंत्री ने कहा कि लापरवाही के दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
MP Health Min: Patients to be given best treatment. I've ordered to cancel the license of the hospital. Patients to be provided compensation of Rs 20,000. FIR to be registered against those found guilty of negligence. 7-member committee has been formed to investigate the matter pic.twitter.com/1vzxiieEcZ
— ANI (@ANI) August 17, 2019
उन्होंने कहा, “इस मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति बनाई गई है.”
प्राप्त जानकारी के अनुसार इंदौर आई हॉस्पिटल में 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत एक शिविर लगाया गया था, जिसमें मरीजों के ऑपरेशन हुए. इसके बाद आंख में दवा डाली गई, जिससे उन्हें संक्रमण हुआ और धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी ठीक होने की बजाय चली ही गई. मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सील कर दिया है.
इंदौर आई हॉस्पिटल में दिसंबर 2010 में भी मोतियाबिंद के ऑपरेशन फैल हो गए थे, जिसमें 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.