फैक्ट चेक: हाथी की पीठ पर बंधे बाघ का यह वीडियो बिहार का नहीं, जानें पूरा सच
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, वीडियो में कुछ लोग एक हाथ की पीठ में एक बाघ को बांधकर घुमा रहे हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि हाथी की पीठ पर बाघ रस्सी से बंधा हुआ है साथ ही उसके बगल में एक आदमी भी बैठा हुआ है। इसी वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो बिहार का है।
फेसबुक पर वायरल वीडियो को शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि “बिहार वाले शेर को पकड़ के हाथी के ऊपर बैठा का घुमा रहे हैं”
फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
फैक्ट चेक:
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल वीडियो बिहार का नहीं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की। सबसे पहले हमने वायरल वीडियो को कुछ कीफ्रेम्स में तोड़ा और फिर गूगल लेंस के माध्यम से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें सबसे पहले वायरल वीडियो को लेकर प्रशासनिक अधिकारी Praveen kaswan के आधिकारिक एक्स हंडेल द्वारा किया गया एक पोस्ट मिला जिसे उन्होंने दिसंबर 26, 2024 को अपलोड किया गया था।
It’s an old video of 2011 from Ramnagar of Uttrakhand. The tiger killed 6 people and later hunted down by authorities. It was transported on elephant, maybe vehicles were not able to go to the place. https://t.co/vstI5vD2qy
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) December 26, 2024
Praveen kaswan ने अपने पोस्ट में बताया कि यह वीडियो साल 2011 के दौरान का है। जब एक बाघ ने करीब 6 लोगों की जान ले ली थी, तब बाद में उसे मार दिया गया जिसके बाद उसके शव को एक हाथी की पीठ में रखकर ले जाया गया था।
उपरोक्त पोस्ट में मिली जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें वायरल वीडियो का एक कीफ्रेम IndiaToday की वेबसाइट पर छपे एक लेख में मिला। जिसे जनवरी 28, 2011 को अपलोड किया गया था।
लेख के मुताबिक वायरल वीडियो उत्तराखंड का है, जहां साल 2011 के दौरान नरभक्षी बाघ ने इलाके में आतंक मचा रखा था और तीन महीने से उसका शिकार किया जा रहा था। सुंदरखाल इलाके में वन अधिकारियों ने उसे तब पकड़ा जब वह अपना ताजा मानव शिकार खा रहा था। शिकारियों ने बाघ को घेर लिया और गोलियों से भूनकर उसे मौके पर ही मार डाला। इलाके के ग्रामीणों ने बाघ की मौत पर खुशी मनाई और उसके शव को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए हाथी पर ले गए।
पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से हमने जाना कि वायरल वीडियो हालिया दिनों का नहीं बल्कि साल 2011 के दौरान का है, साथ ही यह वीडियो बिहार का नहीं बल्कि उत्तराखंड का है।