पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध और हत्या के मामलों की जांच कर रही सीबीआई की टीम अब एक्शन में आ गई है। ऐसा इसीलिए क्युकी विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के मामले में अभी तक कुल 9 मामले दर्ज किए गये है। गौरतलब है कि इस पूरे केस में सीबीआई ने संयुक्त निदेशक के नेतृत्व में चार टीमों का गठन किया है और यह टीम हिंसा प्रभावित जिलों का दौरा कर रही है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को दी थी जांच की जिम्मेदारी।
बता दें कि इससे पहले 19 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका देते हुए चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि सीबीआई अदालत की निगरानी में ही जांच करेगी। हाईकोर्ट ने कहा था कि हत्या और दुष्कर्म के मामलों की जांच सीबीआई करेगी, वहीं अन्य मामलों की जांच एसआईटी करेगी।
यह सब है जांच में शामिल।
अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने चुनाव बाद हिंसा मामले की जांच का जिम्मा कोयला और पशु तस्करी अधिकारी अखिलेश सिंह को सौंपी है। अखिलेश सिंह अब स्पेशल क्राइम ब्रांच की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। उन्हें स्पेशल क्राइम ब्रांच का हेड बनाया गया है। इस केस में वह हत्या और दुष्कर्म मामले की जांच करेंगे। इनके अलावा इस मामले में सीबीआई के कुल 64 जांच अधिकारियों को नियुक्त किया गया है और अब टीम के सदस्यों की संख्या बढ़कर 109 हो गई है। टीम में कुल 84 जांच अधिकारियों में से आईओ, इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक के अधिकारी हैं। इसके अलावा 25 अधिकारी संयुक्त निदेशक, डीआईजी, एसपी रैंक के हैं। प्रत्येक जोन टीम में 21 जांच अधिकारी या आईओ होंगे। राज्य पहले ही 4 संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी पहुंच चुके हैं। ज्यादातर डीआईजी और एसपी रैंक के हैं।
मानवाधिकार आयोग ने भी हाईकोर्ट से की थी सीबीआई जांच की सिफारिश।
मानवाधिकार आयोग की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी माना था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दुष्कर्म व हत्या जैसे मामलों की जांच सीबीआई से कराई जाए और इन मामलों की सुनवाई बंगाल के बाहर हो। वहीं अन्य मामलों की जांच विशेष जांच दल(एसआईटी) से कराई जानी चाहिए। संबंधितों पर मुकदमे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाए, विशेष लोक अभियोजक तैनात किए जाएं और गवाहों को सुरक्षा मिले।
और भड़की थी हिंसा।
बता दें कि दो मई को विधानसभा परिणामों की घोषणा के बाद, पश्चिम बंगाल के कई शहरों में चुनाव के बाद हिंसा की घटनाएं हुईं थी।