Hindi Newsportal

धारा 370 को हटाने के होंगे बेहद खतरनाक परिणाम: उमर अब्दुल्ला

Forrmer J&K CM Omar Abdullah (file image)
0 1,068

केंद्र द्वारा राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से अनुच्छेद 370 को रद्द करने के कुछ क्षणों बाद, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370 के स्क्रैपिंग के दूरगामी परिणाम होंगे और यह उस विश्वास के साथ धोखा है, जो जम्मू और कश्मीर के लोगों ने 1947 में भारत पर दिखाया था.

उन्होंने आगे कहा कि धारा 370 के निरस्त होने के दूरगामी और खतरनाक परिणाम होंगे.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया और शेष भारत के लोगों को इस क्षेत्र में संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं थी. निर्णय के खिलाफ क्षेत्रीय दलों के साथ यह निरस्तता हमेशा एक विवादास्पद मुद्दा रहा.

जम्मू कश्मीर को दो लेफ्टिनेंट गवर्नर्स के साथ दो केंद्र शासित प्रदेशों में भी विभाजित किया गया है. लद्दाख बिना विधायिका के केंद्र शासित प्रदेश होगा और जम्मू-कश्मीर में विधायिका होगी.

उमर अब्दुल्ला ने कहा,“भारत सरकार के एकतरफा और चौंकाने वाला फैसल आज उस विश्वास के साथ विश्वासघात हैं, जो जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भारत में तब दोहराया था जब राज्य ने 1947 में इसे स्वीकार किया था. फैसले के परिणाम दूरगामी और खतरनाक होंगे. यह राज्य के लोगों के खिलाफ एक आक्रामकता है जैसा कि कल श्रीनगर में एक सर्वदलीय बैठक द्वारा चेतावनी दी गई थी.”

ALSO READ: मोदी सरकार का बड़ा फैसला; जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म, बना केंद्र शासित प्रदेश

“इन विनाशकारी फैसलों के साथ मैदान में उतरने के लिए हाल के हफ्तों में भारत सरकार ने धोखा और चोरी का सहारा लिया है. हमारी गहन आशंकाएँ दुर्भाग्य से सच हो गई हैं क्योंकि भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर के प्रतिनिधियों से यह कहा था कि कोई बड़ी योजना नहीं बनाई गई है.”

उन्होंने निर्णय को “असंवैधानिक” करार दिया और कहा कि उनकी पार्टी “लंबी और कठिन लड़ाई” के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा, “हममें से जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतांत्रिक आवाज दी, वे असंतुष्ट हैं क्योंकि लाखों सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों को वहां तैनात किया गया है.”

प्रदेश को विशेषाधिकार देने वाले इस अनुच्छेद के विभिन्न खंडों को खत्म करने का प्रस्ताव संसद में पेश होने के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला दिन बताया है.

You might also like

Leave A Reply

Your email address will not be published.