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कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह कौन हैं? ऑपरेशन सिंदूर में निभाई अहम भूमिका

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भारत द्वारा पाकिस्तान में की गई सैन्य कार्रवाई के बाद आज एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें देश के विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ दो महिला अफसरों – कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह – ने मीडिया को संबोधित किया।

कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?

कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी हैं। वह 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई से कमीशंड हुई थीं और आज भारतीय सेना की गिनी-चुनी महिला नेतृत्वकर्ताओं में से एक हैं।

वर्ष 2016 में उन्होंने इतिहास रच दिया जब वह किसी विदेशी सैन्य अभ्यास में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं। उस मल्टीनेशनल एक्सरसाइज में 18 देशों ने भाग लिया था, लेकिन एकमात्र महिला कमांडर वही थीं। गुजरात की रहने वाली कर्नल कुरैशी ने बायोकैमिस्ट्री में पोस्टग्रेजुएट डिग्री ली है। उनका सैन्य जुड़ाव उनके दादा से आता है, जो खुद भारतीय सेना में थे। उनके पति भी मेकनाइज़्ड इन्फैंट्री में अफसर हैं।

वह 2006 में संयुक्त राष्ट्र के पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में भी तैनात रहीं, जहाँ उन्होंने संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और मानवीय मदद पहुंचाने का काम किया।

कौन हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह?

विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना में हेलिकॉप्टर पायलट हैं। उनके नाम का अर्थ ही होता है “आकाश की पुत्री”, और उन्होंने अपने बचपन से ही उड़ने का सपना देखा था। स्कूल के दिनों में उन्होंने एनसीसी जॉइन की और बाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। अपने परिवार में पहली अफसर बनने का गौरव व्योमिका को मिला। 18 दिसंबर 2019 को उन्हें वायुसेना की फ्लाइंग ब्रांच में स्थायी कमीशन मिला – जो कि महिला अफसरों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने अब तक 2,500 घंटे से ज्यादा की उड़ानें भरी हैं, खासकर जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के मुश्किल इलाकों में चेतक और चीता हेलिकॉप्टर उड़ाए हैं। नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश में उनका एक रेस्क्यू मिशन भी काफी चर्चा में रहा। व्योमिका सिंह की कहानी उन हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो देश सेवा का सपना देखती हैं।

भारत की इन दो महिला सैन्य अफसरों की मौजूदगी इस बात का प्रतीक है कि देश की रक्षा में महिलाएं अब सिर्फ बराबरी ही नहीं, बल्कि नेतृत्व कर रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि उन परिवारों को न्याय दिलाने की कोशिश है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है।

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