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क्या हैं दिल्ली MCD की जिम्मेदारियां, क्यों होती है इसके चुनाव को जीतने की इतनी मशक़्क़त, जानिए

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क्या हैं दिल्ली MCD की जिम्मेदारियां, क्यों होती है इसके चुनाव को जीतने की इतनी मशक़्क़त, जानिए

 

देश की राजधानी दिल्ली में MCD यानी नगर निगम के चुनाव होने है। इसके चार दिसंबर को वोटिंग होगी। इसके लिए आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियों ने 250 वॉर्डों के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। तीनों पार्टियों के सभी 750 उम्मीदवारों सहित कई अन्य निर्दलीय और दूसरी पार्टियों के उम्मीदवार पर्चे भर चुके हैं। 2022 का एमसीडी चुनाव 250 सीटों पर होगा।

ऐसे में आईये जानते हैं कि क्या है यह एमसीडी? पार्षद कैसे चुने जाते हैं, पार्षदों का रोल क्या है और क्यों होती है इसके चुनाव को जीतने की इतनी मशक्क्त।

क्या है एमसीडी का इतिहास?

भारत की आजादी के एक दशक के बाद नीति निमार्ताओं ने दिल्ली एमसीडी ‘बॉम्बे नगर निगम’ की तर्ज पर गठित किया। दिल्ली के एमसीडी का गठन संसद द्वारा पारित दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के तहत किया गया। 64 साल पहले यानी साल 1958 में दिल्ली के दिल चांदनी चौक स्थित 150 साल से अधिक पुराना ऐतिहासिक टाउन हॉल नगर निकाय की सत्ता का केंद्र बनाया गया। एमसीडी की पहली मेयर स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली थीं। 

साल 1958 में दिल्ली एमसीडी में पार्षदों की संख्या 80 हुआ करती थी। इसके बाद यह बढ़कर 134 और 2007 में यह संख्या 272 तक पहुंच गई। साल 2011 में जब दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं तब नगर निगम को तीन हिस्सों उत्तरी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में विभाजित कर दिया गया। इस दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दक्षिण दिल्ली नगर निगम में फिलहाल 104-104 वहीं पूर्वी दिल्ली दिल्ली में 64 वार्ड पर चुनाव हुए और तीनों ही जगह मेयर अलग- अलग चुने गए।

केंद्र सरकार ने दिल्ली MCD को फिर से किया एक 

करीब 11 साल बाद मोदी सरकार में दोबारा से एमसीडी को क कर दिया गया। इसके लिए जब विधेयक पारित किया उसमें इस बात का जिक्र था कि वार्ड की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी।

क्या हैं दिल्ली MCD के अधिकार और जिम्मेदारियां 

दिल्ली में कई मायनों में नगर निगम पार्षद एक विधायक और एक संसद सदस्य से कहीं अधिक महत्पूर्ण होता है। इलाके में सफाई व्यवस्था से लेकर पेंशन, छोटी सड़कों के निर्माण, पार्कों के रखरखाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दिल्‍ली सरकार और नगर निगम के अधिकार अलग है लेकिन कई मिलते जुलते हैं। सड़क का निर्माण एमसीडी और दिल्ली सरकार दोनों ही करती है। एक ओर जहां 60 फीट से कम चौड़ी सड़का जिम्मा एमसीडी के पास तो वहीं इससे अधिक सड़क चौड़ी दिल्ली सरकार के पास।

दिल्ली की कॉलोनियों और सड़कों पर सफाई करने, कूड़ा एकत्र करके उसका निस्तारण करने की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम की है। स्ट्रीट लाइट, प्राइमरी स्कूल, प्रॉपर्टी और प्रोफेशनल टैक्स कलेक्शन, टोल टैक्स कलेक्शन सिस्टम, शमशान और जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र, डिस्पेंसरीज, ड्रेनेज सिस्टम, बाजारों की देखरेख इसका भी जिम्मा एमसीडी के पास है।

बता दें कि सड़क निर्माण से लेकर स्कूल और टैक्स कलेक्शन आय का बड़ा स्रोत होता है। दिल्ली एमसीडी का बजट करीब 15 हजार करोड़ से ज्यादा का है।

MCD के दायरे में नहीं है पूरा दिल्‍ली

मालूम हो कि एमसीडी के दायरे में दिल्‍ली का पूरा इलाका नहीं आता। नई दिल्‍ली जहां प्रमुख सरकारी इमारतें, दफ्तर, आवासीय परिसर और दूतावास/उच्‍चायोग हैं, वह नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के तहत आता है। नगरपालिका परिषद पूरी तरह से केंद्र के अधीन है। परिषद के लिए चुनाव नहीं होते। इसके सदस्‍यों को केंद्र नामित करता है, राज्‍य सरकार के साथ चर्चा करके। NDMC के बोर्ड में कुछ विधायकों को भी शामिल किया जाता रहा है।

दिल्‍ली कैंटोनमेंट इलाका की देखरेख का जिम्‍मा दिल्‍ली कैंटोनमेंट बोर्ड (DCB) का है। सेना का स्‍टेशन कमांडर ही DCB का पदेन अध्‍यक्ष होता है। डिफेंस एस्‍टेट्स सर्विस कैडर के एक अधिकारी को CEO नियुक्‍त किया जाता है। इसके बोर्ड में 8 सदस्‍य होते हैं।

ऐसे होगा MCD का चुनाव 

दिल्‍ली नगर निगम के चुनाव इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के जरिए कराए जाएंगे। राज्‍य चुनाव आयुक्‍त विजय देव ने बताया कि 55 हजार से ज्‍यादा EVMs का इंतजाम हो गया है। इस बार भी NOTA का विकल्‍प मिलेगा। एक लाख से ज्‍यादा स्‍टाफ एमसीडी चुनाव कराएगा। चुनाव का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू हो गई है।