लखीमुपर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुनवाई के दौरान पुलिसिया कार्यवाई में शिथिलता बरतने के चलते राज्य सरकार को मुख्य न्यायाधीश के कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। उन्होंने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल किया है कि क्या हत्या के आरोपियों को पुलिस नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाती है? सीजेआई ने पूछा है कि अब तक हत्यारोपित को हिरासत में किस आधार पर नहीं लिया गया?
#LakhmipurKheri Violence : #SupremeCourt 'Not Satisfied' With UP Police Probe; Asks 'Is This The Way You Treat Accused In Other Murder Cases?By Sending Summons?' https://t.co/nZFgK2T1RN
— Live Law (@LiveLawIndia) October 8, 2021
राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे, दी यह दलील।
इधर कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि किसानों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गोली के घाव नहीं दिखे, इसलिए उन्हें नोटिस भेजा गया था। उन्होंने बताया कि घटनास्थल से दो कारतूस बरामद हुए हैं। इससे लगता है कि आरोपी का निशाना कुछ और था।
SC ने लिया स्वत: संज्ञान।
बता दें कि इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि, यह बेंच की एक राय है, अगर आरोपी कोई आम आदमी हो तो क्या उसके साथ भी यही रवैया होता? इस पर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर व्यक्ति नोटिस के बाद नहीं आता है तो कानूनी सख्ती का सहारा लिया जाता है।
"We expect this to be a responsible government. When there is a serious allegation of murder and gun shot injury..how the accused in other parts of the country are treated? Sending notice like please come please tell us?"- Supreme Court to State of UP in #LakhimpurKheriViolence pic.twitter.com/U5UJkHK9No
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राज्य सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं सुप्रीम कोर्ट।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की ओर से की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं दिखी। कोर्ट ने कहा कि आठ लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, इस मामले में सभी आरोपियों के लिए कानून एक समान है। कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार इस गंभीर मामले में जरूरी कदम उठाएगी।
वैकल्पिक एजेंसी करेगी जांच ।
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि इस मामले की जांच एक वैकल्पिक एजेंसी से कराई जाए और इसकी जानकारी कोर्ट को दी जाए। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई वैकल्पिक एजेंसी इस मामले की जांच शुरू नहीं कर देती तब तक राज्य के डीजीपी की जिम्मेदारी होगी कि घटना से जुड़े सभी सबूतों को सुरक्षित रखा जाए।
"CBI may not be a solution for reasons you better know", CJI tells Sr Advocate Harish Salve who appeared for State of UP in #LakhimpurKheri matter.#SupremeCourt pic.twitter.com/MblFexvn5S
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योगी सरकार ने क्या कदम उठाए ?
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गुरुवार को ही इस मामले में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसपर जानकारी देते हुए कि लखीमपुर हिंसा की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। आयोग को जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया है। इस जांच कमीशन में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को शामिल किया गया है।
इधर आशीष मिश्रा के घर दूसरा नोटिस लगा।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के घर पर दूसरा नोटिस लगाया गया। आज सुबह 10:00 बजे तक उनके बेटे आशीष मिश्रा को क्राइम ब्रांच दफ्तर पहुंचना था, लेकिन वह नहीं पहुंचा। आशीष मिश्रा के नहीं पहुंचने पर लखीमपुर पुलिस ने दूसरा नोटिस लगाया है।
🔲 लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश पुलिस ने केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के आवास पर दूसरा नोटिस चस्पा कर उनके बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में 9 अक्टूबर को सुबह 11 बजे पेश होने के लिए कहा है।#LakhimpurKheriMassacre #LakhimpurKheriViolence pic.twitter.com/IaGUj1T87n
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