2021 के शांति के नोबेल पुरस्कारों का एलान कर दिया गया है। नोबेल कमेटी ने इस बार इस सम्मान के लिए दो पत्रकारों को चुना है। इनमें एक पत्रकार रैप्लर मीडिया ग्रुप की संस्थापक अमेरिकी पत्रकार मारिया रेसा हैं और दूसरे रूस के पत्रकार दिमित्री मुरातोव हैं। नोबेल कमेटी ने कहा है कि इन दोनों को अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।
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The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2021 Nobel Peace Prize to Maria Ressa and Dmitry Muratov for their efforts to safeguard freedom of expression, which is a precondition for democracy and lasting peace.#NobelPrize #NobelPeacePrize pic.twitter.com/KHeGG9YOTT— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 8, 2021
जाने कौन हैं नोबेल जीतने वाले दोनों पत्रकार?
1. मारिया रेसा।
मारिया रसा फिलीपीन्स के राष्ट्रपति की आलोचक हैं और उन्हें पहले भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने हाल ही में एक फैसले में छह साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले को देश में प्रेस की स्वतंत्रता को बड़ा झटका माना गया था। मनीला की अदालत ने ऑनलाइन समाचार साइट रैपलर इंक की मारिया रसा और पूर्व रिपोर्टर रेनाल्डो सैंटोस जूनियर को एक अमीर कारोबारी की मानहानि का दोषी पाया गया था।
2. दिमित्री मुरातोव।
इसके अलावा रूस के दिमित्री मुरातोव को भी नोबेल शांति पुरस्कार देने का एलान किया गया। वे रूस के स्वतंत्र अखबार नोवाजा गजेटा के सह-संस्थापक हैं और पिछले 24 साल से पेपर के मुख्य संपादक रहे हैं। रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के तानाशाही राज के बावजूद मुरातोव को अपने अखबार के जरिए सरकार की योजनाओं की आलोचना के लिए जाना जाता रहा है। नोबेल कमेटी ने कहा कि मुरातोव कई दशकों से रूस में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा कर रहे हैं।
क्या कहना है नोबेल कमेटी का ?
इसी क्रम में नोबेल कमेटी का कहना है कि आजाद, स्वायत्त और तथ्य आधारित पत्रकारिता सत्ता की ताकत, झूठ और युद्ध के प्रोपेगंडा से रक्षा करने में अहम है। अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता के बिना देशों के बीच सौहार्द और विश्व व्यवस्था को सफल बनाना काफी मुश्किल हो जाएगा। बता दे नोबेल शांति पुरस्कार किसी उस संगठन या व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने राष्ट्रों के बीच भाइचारे और बंधुत्व को बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ काम किया हो। पिछले साल यह पुरस्कार विश्व खाद्य कार्यक्रम को दिया गया था, जिसकी स्थापना 1961 में विश्व भर में भूख से निपटने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के निर्देश पर किया गया था। रोम से काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी को वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ने और खाद्य सुरक्षा के प्रयासों के लिए यह पुरस्कार दिया गया था।
यह भी जानें।
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (11.4 लाख डॉलर से अधिक राशि) दिये जाते हैं।