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जानिए कहानी बिहार के नीतीश कुमार की, जो एक ही राज्य के 8वीं बार बने मुख्यमंत्री

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जानिए कहानी बिहार के नीतीश कुमार की, जो एक ही राज्य के 8वीं बार बने मुख्यमंत्री

 

आज इस लेख में कहानी बिहार के उस शख्स की है, जिसकी बिहार की सियासी सतरंज में पकड़ ऐसी कि पासा किसी का भी रहा हो लेकिन दावं हमेशा उन्हीं का ही लगता है। बात कर रहे हैं बिहार के सीएम नीतीश कुमार की। गठबंधन चाहे बीजेपी से हो या आरजेडी के साथ लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने। ऐसा ही एक बार फिर होने जा रहा है। नीतीश कुमार बीजेपी से गठबंधन खत्म कर आरजेडी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने जा रहे हैं जिसमें वो मुख्यमंत्री बने रहेंगे। हालांकि तेजस्वी यादव किन शर्तों परराजी हुए हैं ये देखने की बात होगी। जानकारी के मुताबिक आरजेडी तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम और गृह विभाग दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

आज यानी बुधवार दोपहर जद (यू)-राजद “महागठबंधन” का शपथ समारोह भी संपन्न हो गया है। तोड़ी देर में नीतीश कुमार बिहार के 38वें मुख्यमंत्री के तौर पर 8वीं बार शपथ लेंगे। इसके पहले नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 7 बार काबिज रह चुके हैं, और अब यह उनके लिए आठवां मौका होगा जब वह एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। बतादें कल की संध्या नीतीश कुमार ने NDA का साथ छोड़ मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।

नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर की शुरुआत 

बिहार की राजनीति में चाणक्य नाम से मशहूर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्म का जन्म साल 1951 में बिहार के एक दलित परिवार में हुआ था। नीतीश का उपनाम मुन्ना है। नीतिश के पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। नीतीश ने राजनीति के गुण जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से सीखे थे।

नीतीश के राजनीतिक करियर की शुरूआत साल 1977 में हुई थी। इस साल नीतीश ने जनता पार्टी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। साल 1985 को नीतीश बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। नीतीश का राजनीतिक कद धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था। इसी बीच साल 1987 को नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बन गए। नीतीश राजनीति में पारंगत हो ही रहे थे कि साल 1989 को नीतीश कुमार को जनता दल (बिहार) का महासचिव बना दिया गया। अब तक नीतीश ने अच्छी खासी राजनीतिक पहचान बना ली थी। साल 1989 नीतीश के राजनीतिक करियर के लिए काफी अहम था। इस साल नीतीश 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए।

लोकसभा के लिए ये नीतीश का पहला कार्यकाल था। इसके बाद साल 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। नीतीश का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता जा रहा था। साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुए नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे। इसी साल नीतिश कुमार जनता दल के महासचिव बने और संसद में जनता दल के उपनेता भी बने। करीब दो साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया। एक बार फिर से आम चुनाव ने दस्तक दी। साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। नीतीश साल 1996–98 तक रक्षा समिति के सदस्य भी रहे। साल 1998 ने नीतीश फिर से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेलवे मंत्री भी रहे। एक बार फिर चुनाव हुए साल 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए।

इससे पहले कब और कितनी बार बने मुख्यमंत्री  

नीतीश कुमार ने पहली बार 3 मार्च 2000 को बिहार के सीएम पद की शपथ ली थी। हालांकि पहली बार महज सात दिनों के भीतर उनकी सरकार गिर गई थी। इसके बाद 24 नवंबर 2005 को नीतीश कुमार दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। तब उनका कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक पूरे पांच साल चला।

26 नवंबर 2010 को नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को मिली करारी हार के बाद उन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया। 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने चौथी बार एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर कमान संभाली।

साल 2015 में नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार बनाई थी। 20 नवंबर 2015 को महागठबंधन सरकार की तरफ से नीतीश कुमार ने पांचवी बार सूबे के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली जिसमें तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने। करीब डेढ़ साल सरकार चलाने के बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी से गठबंधन तोड़ने का फैसला किया और बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। इस तरह नीतीश कुमार छठी बार 27 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार छठी बार बिहार के सीएम बने।

इसके बाद एक बार फिर आज यानी 08 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर महागठबंधन वाली सरकार बनाई और एक बार फिर आज ही बिहार के 38वें मुख्यमंत्री के रूप में 8 बार मुख्यमंत्री की शपथ ली।