MPox को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी, स्क्रीनिंग और टेस्टिंग पर जोर
देश में रविवार को मंकी पॉक्स का पहला संदिग्ध मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालयअब अलर्ट मोड पर है। मंत्रालय की तरफ से मंकी पॉक्स को लेकर एडवाइजरी जारी की गयी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने संदिग्धों की स्क्रीनिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की हिदायत दी है। बता दें कि WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन मंकी पॉक्स को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है। इस बीमारी से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।
Union Health Secretary Apurva Chandra issues advisory to States/UTs in view of WHO’s declaration of Public Health Emergency of International Concern (PHEIC) related to Mpox pic.twitter.com/tQIXg2V2Ix
— ANI (@ANI) September 9, 2024
स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी:
- संदिग्ध और कन्फर्म दोनों मामलों की देखभाल के लिए अस्पतालों में आइसोलेशन सुविधाओं की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा इस स्पेशल अरेंजमेंट में मानव कर्मचारियों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो।
- राज्य और जिला स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं के वरिष्ठ अधिकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
- राज्यों को स्वास्थ्य कर्मियों, विशेष रूप से त्वचा और एसटीडी (यौन संचारित रोग) क्लीनिकों में काम करने वालों पर विशेष ध्यान दें.
- अस्पताल-आधारित निगरानी से लेकर राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) की ओर से पहचाने गए इन्टरवेंशन साइट्स पर सभी संदिग्ध मामलों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
- सभी महत्वपूर्ण हितधारकों को अभिविन्यास देना, जिसमें रोग निगरानी इकाइयों को मामलों की परिभाषा, संपर्क ट्रेसिंग और अन्य निगरानी गतिविधियों पर पुनः अभिविन्यास देना शामिल है.
- इस बीमारी के प्रबंधन के लिए दिशानिर्देशों को व्यापक रूप से प्रसारित किये जाएंगे। लोगों के बीच किसी भी तरह के पैनिक को रोकने की व्यवस्था की जाएगी।
MPOX क्या होता है?
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति है। इस बीमारी को एमपॉक्स नाम से भी जाना जाता है। यह वायरस आमतौर पर जानवरों और मनुष्यों को प्रभावित कर सकता है। मंकीपॉक्स के लक्षण 3 से 17 दिन के बाद शुरू हो सकते हैं, जब मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई देते हैं तो इसे इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है। इस वायरस की पहचान वैज्ञानिकों ने पहली बार 1958 में की थी जब बंदरों में ‘पॉक्स जैसी’ बीमारी का प्रकोप हुआ था।